एनसीआर में पहुंचा टिड्डी दल, सोनीपत के रास्ते पानीपत में घुस सकती है टिड्डी

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चंडीगढ़, 27 जून (हि.स.)। पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान होते हुए हरियाणा में घुसा टिड्डी दल शनिवार को एनसीआर के गुरुग्राम में प्रवेश कर गया। टिड्डी दल के हमले से फसलों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल शनिवार सुबह-सुबह रेवाड़ी पहुंच गए।

जयप्रकाश दलाल रेवाड़ी के जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह को साथ लेकर प्रभावित क्षेत्रों में गए और फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया। मंत्री दलाल ने कृषि अधिकारियों व जिला उपायुक्त को इसे लेकर निर्देश दिए। उन्होंने ट्रैक्टर व फायर ब्रिगेड से प्रभावित क्षेत्रों में किए जा रहे स्प्रे का सुपरविजन किया।
शुक्रवार को राजस्थान होते हुए टिड्‌डी दल महेंद्रगढ़ के रास्ते राज्य में प्रवेश कर गया था। 10 किमी. लंबे व 6 किमी. चौड़े क्षेत्र में फैले दल ने 5 घंटे तक नारनौल-रेवाड़ी के 30 से ज्यादा गांवों में 1 हजार एकड़ से अधिक फसल को नुकसान पहुंचाया। रेवाड़ी के जाटूसाना क्षेत्र के करीब 10 गांवों में 20 टीमों ने रात 12 बजे से स्प्रे शुरू कर दिया, जो कि सुबह तक चला।
60 लाख टिडि्डयां हैं इस दल में
पानीपत के जिला उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने समालखा व इसराना खंड के किसानों से अनुरोध किया है कि वे अपने आवाज करने वाले सभी यंत्र तथा सामान (थाली, परात, चम्मच-कटोरी आदि) लेकर तैयार रहें। इस टिड्डी दल में 60 लाख टिड्डियां हैं, जिसकी लंबाई 10 किलोमीटर है तथा चौड़ाई 6 किलोमीटर है। दिन के समय टिड्डी दल प्रवेश करता है तो शोर (आवाज) करके उसे भगाना होगा और यदि रात्रि के समय टिड्डी दल आता है तो उसे दवाइयों के स्प्रे से भगाया जाएगा।
ऐसे भगाया जा सकता है
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (जेडएसआई) के हाई अल्टीट्यूट स्टेशन सोलन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कमल सैनी डेढ़ दशक से टिड्डी दल पर शोध कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रभावित खेतों के आसपास कृषक ड्रम अथवा बर्तनों इत्यादि से तेज आवाज निकालकर टिड्डी दल को फसल से दूर रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के समूह पर कलोरपायरीफॉस 20 ईसी (ईमल्सीफाईड कन्सनट्रेशन) का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर अथवा मेलाथियॉन (यूएलबी) का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर या लैम्ब्डा सयलोथ्रिन 4.9 प्रतिशत सीएस का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर अथवा रोकर स्प्रेयर से छिड़काव करें।
वैज्ञानिक डॉ. कमल सैनी ने बताया कि देश में इस समय आया टिड्डी दल सिस्टोसिरा ग्रेगेरिया अफ्रीका के इथोपिया से आया है। टिड्डा रेत में अंडे देता है और दस से पंद्रह दिन में अंडे से बच्चे निकल आते हैं।  उन्होंने बताया कि एक टिड्डा 90 से 120 दिन जीता है। एक टाइम में एक टिड्डा 80 से 120 अंडे देता है। एक टिड्डा अपनी लाइफ में दो से तीन बार अंडे देता है। इनका समूह एक वर्ग किलोमीटर से कई सौ किलोमीटर तक का होता है।

 


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