बिहार में सब्जीवालों ने बढ़ाया दाम, कहीं 60 तो कहीं 100 रुपये किलो भिंडी और करेले

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120 रुपये किलो बिक रहा आंवला तो 50 रुपये पीस कद्दूदवा, किराना और सब्जी दुकानों पर भीड़, थोक से खरीदारी कर रहे लोगसीएमओ की नाराजगी के बाद सख्त हुआ पुलिस प्रशासनलॉकडाउन का पालन कराने के लिए पुलिस शहर के चौक-चौराहों पर तैनातदवा के सबसे बड़े मार्केट गोविंद मित्रा रोड में  लगा जाम



पटना, 23 मार्च (हि.स.)। देशव्यापी सफल जनता कर्फ्यू के बाद कोरोना वायरस का  संक्रमण  रोकने के लिए बिहार सरकार ने 31 मार्च तक पूरे राज्य को लॉक डाउन किया है। हालांकि लॉक डाउन के पहले दिन सोमवार को पटना की सड़कों पर लोगों की काफी भीड़ दिखी। लॉकडाउन को बेअसर बनाते हुए अनीसाबाद, फुलवारीशरीफ, राजा बाजार, मीठापुर, बोरिंग रोड, अशोक राजपथ सहित कई इलाकों में सुबह दुकानें खुलीं  और लोग सड़क पर आ गए। लोगों ने लॉक डाउन की गंभीरता को नहीं समझा और खरीदारी के लिए उमड़ पड़े। लोग थोक भाव से खऱीदारी कर रहे थे। दवा और किराना दुकानों के साथ ही सब्जी वालों के यहां लोगों की भीड़ काफी अधिक रही। इसके अलावा पेट्रोल पंप पर ज्यादातर लोग अपनी गाड़ी की टंकी फुल कराते नजर आये। इसके साथ ही लॉक डाउन में बंदी का नजारा लेने वालों की भी संख्या कम नहीं थी।

रविवार को जनता कर्फ्यू के कारण लोग बाजार से सब्जी नहीं खरीद पाए। नतीजा हुआ कि सोमवार को इसका लाभ सब्जीवालों ने जमकर उठाया और उसके दाम बढ़ा दिये। राजधानी पटना के अनीसाबाद में भिंडी और करेले 60 रुपये बिके तो पुनाइचक और बोरिंग रोड में 100 रुपये। आंवला 120 रुपये किलो बिक रहा था। इसके अलावा कद्दू, टमाटर, फूलगोभी, बंदागोभी, धनिया सहित अन्य सब्जियों की कीमत में काफी उछाल थी। राजा बाजार में कद्दू 50 रुपये प्रति पीस तक बिका । केला भी 60 रुपए दर्जन बेचा गया, जबकि गर्दनीबाग में कद्दू 40 रुपये किलो बिक रहा  था । इसी तरह मीठापुर, अंटा घाट सहित अन्य बाजारों की भी ऐसी ही स्थिति रही।

हालांकि, इसमें एक महत्वपूर्ण बात दिखी कि राजधानी पटना के डाकबंग्ला रोड, मौर्या कॉम्प्लेक्स, फ्रेजर रोड सहित सभी मुख्य इलाके और बड़े मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सहित सभी  दुकानें बंद हैं। यहां तक कि चाय-पान की दुकानें भी नहीं खुली हैं ।  

दोपहर बाद सख्ती, गैरजरूरी काम से निकले लोगों को पुलिस ने हिदायत के साथ लौटाया

सोमवार को दोपहर बाद तक सड़कों और बाजारों में भीड़ की स्थिति रही। लेकिन, सीएम हाउस की नाराजगी के बाद प्रशासन की नींद खुली और लॉक डाउन का पालन कराने के लिए राजधानी के चौक-चौराहों सहित मुख्य सड़कों पर तैनात पुलिस सक्रिय हुई। मुख्य सड़कों पर बैरिकेडिंग की गई और गाड़ियां रोक कर जांच शुरू की गई। खासकर पुलिस ने बाइकर्स और कार वाले युवाओं पर सख्त नजर आई। पुलिस ने कार और बाइक सवारों को रोका। उनसे घर के बाहर आने का कारण पूछा। सब्जी और दवा सहित अन्य जरूरी सामान खरीदने निकले लोगों को जाने दिया।  गैरजरूरी काम से निकले लोगों को पुलिसकर्मियों ने समझा-बुझाकर हिदायत के साथ घर लौटने को कहा। हालांकि ट्र्फिक ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों का कहना था कि लोग समझने को तैयार नहीं। उन्हें रोककर समझाना भी अच्छा नहीं लग रहा है।

लाइन लगाकर दवा खरीदते नजर आये लोग

अनीशाबाद, बोरिंग कैनाल रोड, आशियाना मोड़ और राजा बाजार में भी दवा दुकानों पर भीड़ दिखी। कई दुकानों पर तो लंबी लाइन लगी हुई थी। दवा दुकानों पर पहुंचे लोगों ने बताया कि वे जरूरी दवाओं को खरीदकर घर में रख लेना चाहते हैं  ताकि अगर स्थिति और खराब होती है तो कम से कम दवा तो पास में  रहेगी । इसके साथ ही मास्क और सैनिटाइजर की काफी मांग रही, लेकिन दोनों बाजार से गायब हैं। शहर की दवा दुकानों पर लोगों की लाइन लगी हुई दिखी। पटना में दवा के सबसे बड़े बाजार गोविंद मित्रा रोड में तो जाम लग गया। हालांकि पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद स्थिति नियंत्रित की और जाम समाप्त कराया।  

पीएम मोदी के संबोधन के बाद बढ़ी जागरूकता, सतर्क हुए लोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन और सफल जनता कर्फ्यू के बाद लोगों में जागरूकता काफी बढ़ी है। लोग सतर्क हुए हैं। दिन में कम से कम 6-7 बार साबुन से हाथ धोने के साथ ही लोग लोग मास्क लगाकर या चेहरे पर रुमाल या गमछी से चेहरा ढंक कर निकल रहे हैं। सोमवार बाजार में या सड़कों पर ज्यादातर लोग मास्क में दिखे। इसके साथ ही रुमाल और गमछी से भी चेहरा ढंके दिखे। दुकानदार भी बता रहे हैं कि पहले की अपेक्षा काफी अधिक साबुन, सैनिटाइजर, मास्क आदि की  मांग बढ़ गयी है। इसके अलावा अंग्रेजी मेडिसिन के साथ ही लोग आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल भी शरीर की  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। आयुर्वेद में गिलोय और तुलसी के अलावा होमियोपैथ में आर्सेनिक एलबम-30 की काफी बिक्री हो रही है। स्थिति ऐसी है कि कमी होने के कारण ग्राहकों को लौटना पड़ रहा है।

 


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