गाजियाबाद, 07 अप्रैल (हि.स.)। कोविड-19 (कोरोना वायरस) संक्रमण फैलने के बाद जहां पूरे विश्व के देश इस महामारी से सकते में हैं और इस महामारी से बचाव के लिए ज्यादातर देश लॉकडाउन दंश झेल रहे हैं। अफरा-तफरी व असुरक्षा के इस माहौल में ठंडी हवा के झोके के समान प्रदूषण खत्म होने के ऐसे सार्थक परिणाम भी आ रहे हैं जिन्हें कभी सपने में भी नहीं सोचा जा सकता है। जी हां, यह परिणाम है प्रदूषण का लेबल समाप्त होना। फिर चाहे नदी की बात हो या फिर पर्यावरण की। कहने का मतलब सब जगहों पर प्रदूषण की आदर्श स्थिति दिखाई दे रही है। इसके साथ ही एक और सुखद बात सामने आयी है कि इस अवधि में मृतकों की संख्या में भी कमी आयी है। हिंडन श्मशान के आंकड़े तो ऐसी ही गवाही दे रहे हैं।
कई दशकों से जिस हिंडन नदी का पानी प्रदूषण के कारण काला और बदबूदार हो गया था। देखने से यह नदी कम गंदा नाला अधिक मालूम पड़ती थी, लेकिन आज यह अपने पुराने स्वरूप में लौटते हुए दिख रही है।
कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन के अभी 15 दिन के बाद अब इसका जल बहुत साफ हो गया है उसमें आने वाली बदबू भी कम हो गयी है। अब इसका पानी चांद-तारे की भांति चमक रहा है। इतना ही नहीं 500 तक पहुंचने वाला एक्यूआई सौ से भी कम रह गया है। इतना ही नहीं प्रदूषण कम होने के सुखद परिणाम समाज के अन्य क्षेत्रों पर भी दिखाई पड़ रहे हैं।
इनका कहना है…
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि यह बात सही है कि लॉकडाउन के बाद प्रदूषण बहुत कम हुआ है। वायु प्रदूषण की बात करें तो यह बात पूरी तरह से साफ हो गयी है कि वायु प्रदूषण का एक सबसे बड़ा कारण वाहनों का संचालन है। चूंकि लॉकडाउन के कारण तमाम प्रकार के वाहन बंद हैं।उन्होंने कहा कि जहां तक नदियों के पानी के स्वच्छ होने की बात है तो इसकी सही स्थिति पानी की सेंपलिंग करने के बाद ही पता चलेगी। चूंकि यदि यह माना जाए कि इंडस्ट्रीज के कारण जल प्रदूषण होता है तो ऐसा कई बार हुआ है ज़ब इंडस्ट्रीज एक से दो महीने तक बंद रही हैं लेकिन नदियों के पानी में कोई अंतर नहीं आया।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मिथलेश कुमार सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण कम हुआ है, इसके लिए इंडस्ट्री, वाहनों का संचालन व अन्य कई कारण हो सकते हैं, लेकिन हम इसे प्रकृति का न्याय कह सकते हैं।
मृतकों की संख्या में भी आयी कमी, कम हुए दाहसंस्कार
हिंडन श्मशान घाट के कर्ता-धर्ता मनीष शर्मा का कहना है कि हिंडन श्मशान घाट पर 21 मार्च के बाद औसतन प्रतिदिन 8-10 शवों के दाह संस्कार में कमी आई है। यदि हम एक मार्च से 21 मार्च तक हिन्डन नदी पर हुए दाह संस्कारों पर नजर डालें तो मालूम होगा कि इन प्रारम्भिक 21 दिनों में तीन सौ सत्तर मृत व्यक्तियों का दाह संस्कार किया गया, जिसका औसत प्रतिदिन 18 शव आता है। दूसरी ओर लॉकडाउन के बाद 22 मार्च से 4 अप्रैल तक 14 दिनों में मौत का आंकड़ा देखें तो वह केवल 158 तक पहुंचा है, जिसका प्रतिदिन का औसत ग्यारह शवों का आ रहा है। पर्यावरण सचेतक समिति के संस्थापक अध्यक्ष विजय पाल बघेल कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण का कम होना बहुत अच्छे संकेत हैं। हम लोगों को इससे सबक लेना होगा और जिन स्त्रोतों से प्रदूषण होता है उसकी स्टडी कर कदम उठाने होंगे।