गांव के चौपालों की बढ़ी रौनक,उप्र में पंचायत चुनावों को लेकर तेज हुईं गतिविधियां
लखनऊ, 07 मार्च (हि.स.)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासी गतिविधियों में तेजी आ गई है। गांवों में अपनी सरकार बनाने के लिए जहां राजनीतिक दलों की सक्रियता में तेजी से इजाफा हुआ है, वहीं प्रदेश सरकार आरक्षण प्रकिया को जल्द पूर्ण करने और राज्य निर्वाचन आयोग शांतिपूर्ण चुनाव की कवायद में लगी हुई है।
सीटों के आरक्षण से गड़बड़ाई गणित के कारण चुनावी मठाधीश अपने लोगों की तलाश में जुटे हैं। इससे गांवों के चौपालों की रंगत भी इस समय रोचक हो रही है। हालांकि पिछले दिनों जिलेवार जारी हुई आरक्षण की सूची अभी अंतिम सूची नहीं है। इन पर आपत्तियां दर्ज हो रही हैं। सोमवार तक आपत्तियां ली जाएंगी। इसके बाद 10 से 12 मार्च के बीच इनका निस्तारण होगा। फिर 15 मार्च तक आरक्षण की अंतिम सूची प्रकाशित होगी। ऐसे में अभी आरक्षण की सूची में परिवर्तन भी संभव है।
सूत्रों की मानें तो राज्य निर्वाचन आयोग 25 मार्च के आस-पास त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए तिथियों की घोषणा कर सकता है। उम्मीद है कि होली के त्योहार के बाद चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
होली के बाद हो रहे चुनाव को देखते हुए शासन और प्रशासन ने विशेष सतर्कता के संकेत दिए हैं। त्योहार के बहाने कुछ असामाजिक तत्व गांव का माहौल बिगाड़ सकते हैं। इसके मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग जल्द ही अपर मुख्य सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक के साथ बैठक करने वाले हैं। अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा का कहना है कि इस बैठक में जिलेवार संवेदनशीलता आंकते हुए शांतिपूर्ण निष्पक्ष चुनाव करवाने को लेकर रणनीति बनेगी।
पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश के प्रदेश की सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) समेत अन्य सियासी दलों ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा तो पांच मार्च से ही ग्राम सभा स्तर पर बैठकें कर रही है। दस से 18 मार्च तक पार्टी गावों में चैपाल लगाएगी। इन बैठकों में सरकार के मंत्री और पार्टी के पदाधिकारियों को भी उपस्थित रहने को कहा गया है।
सपा, कांग्रेस और बसपा ने भी पंचायत चुनाव के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। बसपा ने तो जिलों में भाईचारा कमेटियों को भी सक्रिय कर दिया है। दोनों दल अपने-अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को एकजुटता का टिप्स भी दे रहे हैं।
उधर, 2022 में उप्र विधानसभा का चुनाव लड़ने की कवायद में लगी दिल्ली की सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले पंचायत चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर ले रही है। पार्टी के कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर दिल्ली मॉडल की बात कर रहे हैं। वे ग्रामीणों को समझा रहे हैं कि जिस तरह से दिल्ली में स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और बिजली निःशुल्क है, वैसी ही सुविधा उप्र में भी मुहैया करानी है। आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि उप्र के पंचायत चुनाव में वह अच्छी जीत दर्ज करेगी, जिसका फायदा उसे विधानसभा के चुनाव में मिलेगा।