पहली बार ज्यादा गर्म हुआ एलओसी का माहौल, युद्ध जैसे हालात

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चार दिनों के भीतर 40 से अधिक घुसपैठिए और पाक सैनिकों के मारे जाने की खबर – अनुच्छेद 370 हटने के बाद सीमा पार से संघर्ष विराम उल्लंघन का आंकड़ा बढ़ा- पिछले 6 माह में 2000 से ज्यादा बार हुआ संघर्ष विराम का उल्लंघन



नई दिल्ली, 13 जून (हि.स.)। वैसे तो इन दिनों पाकिस्तान, चीन और नेपाल बॉर्डर पर तनाव का माहौल है लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के बाद यह पहला मौका है जब नियंत्रण रेखा (एलओसी) का माहौल कुछ ज्यादा ही गरमा गया है। पाकिस्तान की ओर से लगातार मोर्टार शेल दागे जाने पर भारतीय सेना भी बड़े हथियारों का इस्तेमाल करके मुंहतोड़ जवाब दे रही है। इस वजह से सीमावर्ती लोगों को शांतिकाल में भी युद्ध जैसे हालात का एहसास हो रहा है।
पाकिस्तान पिछले 15 दिनों से आतंकियों की घुसपैठ कराने के इरादे से संघर्ष विराम का उल्लंघन करके सीमावर्ती क्षेत्र के गांव मंजाकोट, बालाकोट, केरी क़स्बा, केरनी, उरी, मनकोट, शाहपुर, रामपुर, नौशेरा, खारी, करमरा, सुंदरबनी, गुलपुर, देगवार, कलाल, सावजैन आदि इलाकों को निशाना बनाकर मोर्टार शेल दाग रहा है। रात-दिन सीमा पार से हो रही भारी गोलीबारी के शिकार ग्रामीण और उनके मवेशी हो रहे हैं। पाकिस्तान की गोलियों से अब तक कई स्थानीय नागरिकों की जान भी जा चुकी है।
पाकिस्तानी गोलाबारी का जवाब जब भारत की ओर से दिया जाने लगा तो अब सीमा पार से न केवल छोटे हथियारों से बल्कि भारी हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए रात-दिन तोप के गोलों से गूंज रहीं आवाजें एलओसी पर युद्ध के मैदान जैसा एहसास करा रही है। भारतीय सेना की जवाबी कार्यवाही में पिछले 4 दिनों के भीतर 40 से अधिक घुसपैठिए और पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने की खबर है। इसके अलावा स्थानीय खुफिया जानकारी के अनुसार पाक सेना की ‘द मुजाहिद फोर्स रेजिमेंट’ का एक बड़ा अधिकारी हालिया नियंत्रण रेखा झड़पों में गंभीर रूप से घायल हो गया है। वह नीलम घाटी के दुदनीयाल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के दौरे पर था। उसे सीएमएच रावलपिंडी में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर है।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद का कहना है कि 2020 में पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम उल्लंघन का आंकड़ा आश्चर्यजनक है। पिछले 6 महीने से भी कम समय में 2000 से अधिक बार सीजफायर का उल्लंघन हुआ है। उनका कहना है कि अगर हम पिछले वर्षों की तुलना करें तो 2018 में उतने उल्लंघन नहीं हुए। 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के बाद संघर्ष विराम उल्लंघन के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी। तब से लगातार सीमा पार से संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

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