नई दिल्ली, 19 नवम्बर (हि.स.)। लोन मोरेटोरियम के मामले पर छोटे कर्जदारों के लिए याचिका दाखिल करने वाले वकील ने दो करोड़ तक के ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने पर संतोष जताया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके मामलों का निपटारा किया। सुनवाई के दौरान बिजली निर्माण समेत कई क्षेत्रों ने राहत की मांग की। उनकी मांगों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दिया। कोर्ट ने उनसे रिजर्व बैंक को अपनी मांग लिख कर देने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तकनीकी विशेषज्ञों और कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कई राहत पैकेज और योजनाएं लाई गई हैं। इस मामले में अब कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। मेहता ने कहा कि सरकार विभिन्न सेक्टर को हो रही परेशानी से बेखबर नहीं है। वित्तीय संकट की स्थिति में इससे ज्यादा करने की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर योजना के जरिये विशेष राहत दी गई है। केंद्र सरकार ने 90 हजार 8 सौ करोड़ रुपये बिजली वितरण कंपनियों के लिए स्वीकृत की है। मेहता ने कहा कि महामारी की वजह से करीब हर सेक्टर प्रभावित हुआ है और उनकी पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि कामत कमेटी ने बड़े बकायेदारों का लोन रिस्ट्रक्चर किया है औऱ 1500 करोड़ से कम के कर्जदारों को भी रिजर्व बैंक ने अपने सर्कुलर में शामिल किया है।
सुनवाई के दौरान पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि असाधारण परिस्थिति आई है और उनके लिए विशेष सहायता की जरूरत है। तब कोर्ट ने पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन को निर्देश दिया कि वे अपनी मांगें रिजर्व बैंक को लिखकर दें। कोर्ट ने रिजर्व बैंक से उनका जवाब देने को कहा। कोर्ट ने उन याचिकाओं का निस्तारण कर दिया, जिनमें याचिकाकर्ताओं ने चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने पर संतोष जताया। बाकी याचिकाकर्ताओं के मामलों की सुनवाई एक हफ्ते के बाद होगी।