नई दिल्ली, 03 जून (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने माना है कि लद्दाख में गलवान वैली और पैंगोग त्सो के चार पाइंट्स पर भारत-चीन के सैनिक डटे हुए हैं। हालांकि इस बीच तनाव बढ़ाने वाली कोई नई घटना नहीं हुई है लेकिन फिर भी तनाव बरकरार है। रक्षामंत्री ने उम्मीद जताई कि 6 जून को फिर दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर होने वाली बातचीत में विवाद का कुछ न कुछ हल जरूर निकलेगा।
उन्होंने कहा कि अब तक कई दौर की वार्ता में दोनों देशों के सैन्य अधिकारी किसी ऐसे नतीजे तक नहीं पहुंच पाए हैं जिससे समाधान निकल सके। इसलिए साथ-साथ भारत-चीन के बीच कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत जारी है।
लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह अगले दौर की बातचीत का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। इस बार चीनी कर्नल, ब्रिगेडियर और प्रमुख जनरलों को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि वार्ता से समस्या का हल निकलना चाहिए क्योंकि इससे पहले कई दौर की बातचीत लंबे सैन्य गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारी चीनी सैन्य निर्माण को लेकर चल रहे तनाव के बीच दोनों देशों की सेनाओं ने संकट को हल करने के लिए मंगलवार को भी बातचीत की लेकिन यह वार्ता भी पिछली बैठकों की तरह बेनतीजा रही।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे पहले भी डोकलाम विवाद का हल दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता से कूटनीतिक स्तर पर निकला है। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन की सेनाओं के बीच लगभग एक महीने से चल रहे गतिरोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चीनी सैनिक एक ‘बड़ी संख्या’ उन क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गए हैंं जिस पर चीन का दावा है कि यह उसका क्षेत्र है। चीन के बाद वहां भारत की तरफ से भी ज्यादा सैनिकों की तैनाती की गई है और भारत ने भी स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ताओं में समस्या का हल नहीं निकल पाया है लेकिन वार्ता के रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं। रक्षामंत्री ने उम्मीद जताई कि 6 जून को फिर दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर होने वाली बातचीत में विवाद का कुछ न कुछ हल जरूर निकलेगा।