शिमला, 18 जून (हि.स.)। कोटखाई के बहुचर्चित गुड़िया रेप एवं हत्याकांड में दोषी अनिल कुमार उर्फ नीलू नामक लकड़हारे को जिला एवं सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर चक्कर में न्यायाधीश राजीव भारद्वाज की विशेष अदालत ने आरोपित पर 10 हज़ार रुपये का आर्थिक दण्ड भी लगाया है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश राजीव भारद्वाज की अदालत ने सज़ा का एलान करते हुए कहा कि आरोपित को आखिरी सांस तक सलाखों के पीछे रहना होगा। अदालत का यह फैसला घटना के चार साल के अंदर आया है।
शुक्रवार दोपहर 1:59 बजे विशेष अदालत में दोषी को पेश किया गया था। महज दो-तीन मिनट चली कार्रवाई में न्यायाधीश ने दोषी के सामने सजा का ऐलान किया। इस मामले को लेकर सबकी निगाहें अदालत की तरफ लगी हुई थीं।
अभियुक्त नीलू ने दसवीं में पढ़ने वाली 16 वर्षीय छात्रा को दुष्कर्म के बाद जघन्य तरीके से मार डाला था। छात्रा का शव घने जंगल में निर्वस्त्र अवस्था में पड़ा मिला था। सीबीआई ने 13 अप्रैल, 2018 को डीएनए परीक्षण के आधार पर हत्यारे नीलू को गिरफ्तार किया था। उसके विरुद्ध जुलाई 2018 को अदालत में चालान दाखिल किया गया था। इस मामले में सीबीआई ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए।
अदालत ने 28 अप्रैल, 2021 को भारतीय दंड संहिता धाराओं 376(2)1, 376 ए, 302 और बच्चों के यौन अपराध से संरक्षण कानून (पॉक्सों) अधिनियिम की धारा 4 के तहत नीलू को दोषी करार दिया था। मामले के अनुसार पीड़िता चार जुलाई 2017 को शिमला जिला के कोटखाई से लापता हो गयी थी और दो दिन बाद उसका शव जंगल में मिला था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि छात्रा की रेप के बाद हत्या की गई है। इस मामले की प्रारंभिक जांच पुलिस की एसआईटी ने की। तत्कालीन आईजी जहूर जैदी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी ने रेप-मर्डर के आरोप में एक स्थानीय युवक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाना में पुलिस हिरासत के दौरान संदिग्धावस्था में मौत हो गई। इससे लोग भड़क गए थे। पुलिस की जांच से असंतुष्ट लोगों की भीड़ ने कोटखाई थाने को आग के हवाले कर दिया था।
इस मामले में जनाक्रोश के बीच प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपी। सीबीआई ने गुड़िया रेप-मर्डर और सूरज हत्याकांड में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए। सीबीआई ने सूरज हत्याकांड में आईजी जैदी सहित नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया और इनके खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश किया गया। बाद में इस मामले में एक नया मोड़ आया और इन सभी आरोपितों को जेल से रिहा कर दिया गया।
सीबीआई ने तफ्तीश को आगे बढ़ाते हुए कोटखाई और आसपास के गांवों के सैकड़ों लोगों से पूछताछ की थी तथा बड़ी संख्या में लकड़हारों के ब्लड सैंपल भी लिए गए। लंबी फोरेंसिक जांच और डीएनए परीक्षण के बाद सीबीआई अभियुक्त नीलू तक पहुंची थी।
गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई जांच पर गुड़िया के परिजन और स्वयंसेवी संस्था मदद सेवा ट्रस्ट की तरफ से सवाल खड़े किये जाते रहे हैं। इस बारे में एक मामला उच्च न्यायालय में लंबित भी है।