दो हिस्से में लाया जा सकता है एलआईसी का आईपीओ, कंपनी के विशाल आकार से बढ़ी परेशानी
नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में सरकार अपनी हिस्सेदारी एक बार में बेचने की जगह दो बार में बेच सकती है। माना जा रहा है कि पहले चरण में एलआईसी का इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) सरकार की 5 से 6 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने के लिए ही लाया जाएगा। ऐसा भारतीय जीवन बीमा निगम के विशाल आकार की वजह से किया जा रहा है, ताकि एलआईसी के आईपीओ की वजह से आर्थिक विकास पर भी कोई प्रतिकूल असर न पड़े।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने अपने विनिवेश कार्यक्रम के जरिये एलआईसी से अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी कम करने का ऐलान किया है। इसलिए पहले चरण में 5 से 6 फीसदी का आईपीओ लाने के बाद दूसरे चरण में एक बार फिर सरकार के 4 से 5 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करने के लिए एक और आईपीओ ला जा सकती है। ऐसा करने से केंद्र सरकार को पहले चरण के दौरान ही निवेशकों के रुझान का सटीक अंदाजा भी हो जाएगा, जिससे दूसरे चरण के दौरान लाए जाने वाले आईपीओ में बेस प्राइस पर लगने वाले प्रीमियम के आकार का भी सही आकलन किया जा सकेगा।
जानकारों के मुताबिक एलआईसी के आईपीओ को दो हिस्सों में लाने की योजना के पीछे सरकार की सबसे बड़ी परेशानी इस जीवन बीमा कंपनी की विशालता है। कंपनी का साइज इतना अधिक है कि अभी तक भारतीय जीवन बीमा निगम का सटीक वैल्यूएशन भी नहीं किया जा सका है। मोटे तौर पर जो अंदाजा अभी तक लगाया गया है, उसके मुताबिक एलआईसी का वैल्यूएशन करीब-करीब 12 से 15 लाख करोड़ रुपये का है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार के ऐलान के मुताबिक एक ही चरण में केंद्र की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए आईपीओ लाया जाता है, तो ये आईपीओ 1.2 लाख करोड़ रुपये से लेकर 1.5 लाख करोड रुपये के बीच का हो सकता है।
आशंका जताई जा रही है कि अगर इतना बड़ा इनिशियल पब्लिक ऑफर आया तो इससे प्राइवेट कंपनियों को इक्विटी मार्केट में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जिसकी वजह से इकोनॉमिक ग्रोथ पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। मौजूदा आर्थिक हालात में सरकार किसी भी रूप में इकोनॉमिक ग्रोथ पर प्रतिकूल असर पड़ने जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है। इसलिए भी सरकार एलआईसी का आईपीओ दो चरणों में लाने की बात पर काफी हद तक सहमत बताई जा रही है।
आपको बता दें कि इस साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है। इसमें से लगभग एक लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थानों और सार्वजनिक बैंकों से केंद्र सरकार की तयशुदा हिस्सेदारी को बेचकर हासिल किया जा सकता है। ऐसे वित्तीय संस्थानों में भारतीय जीवन बीमा निगम भी शामिल है। इस एक लाख करोड़ रुपये के अलावा शेष 75 हजार करोड़ रुपये के लिए केंद्र सरकार को शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और एयर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में पहले से तय अनुपात में अपनी हिस्सेदारी बेचनी होगी।
केंद्र सरकार की योजना इस साल हर हाल में विनिवेश का लक्ष्य हासिल कर लेने की है। इस वित्त वर्ष में अभी तक विनिवेश के जरिए कुल 7,645.70 करोड़ रुपये ही मिल सके हैं। इसलिए अभी केंद्र सरकार को विनिवेश के जरिए 1.67 लाख करोड़ रुपये और हासिल करने हैं लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब सरकार अपने तक विनिवेश कार्यक्रम पर आक्रामक तरीके से आगे बढ़े।