चुनाव में हार से हिले तेजस्वी , नहीं गए विधान सभा

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तेजस्वी ने शर्त रखी  है कि जब तक तेजप्रताप को राजद से नहीं निकाला जायेगा वह विधानसभा  के सत्र  में हिस्सा नहीं लेंगे। हालांकि तेजस्वी या फिर राजद परिवार के किसी भी सदस्य ने इस पर कोई सफाई नहीं दी है। 



पटना,02 जून (हि.स.)। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को लेकर इन दिनों बिहार की राजनीतिक में तो पहले से ही घमासान मचा हुआ था लेकिन लगभग एक महीने बाद ट्वीटर पर और पटना  लौटे  तेजस्वी अब नये तेवर में हैं । उन्हें हार का अहसास है और वह विधानसभा चुनाव में राजद की जीत के लिए प्रतिबद्ध भी हैं । इसके लिए लोकसभा चुनाव में हुई हार की समीक्षा के बाद बिहार से गायब हुए तेजस्वी यादव लगभग एक माह बाद प्रकट तो हुए लेकिन ट्वीटर पर। ट्वीटर पर ही उन्होंने सत्ता पक्ष और राजद नेताओं के हर  सवाल  का और अपने राजनीतिक अनुभव शेयर कर जवाब दे दिया। हालांकि सोमवार दोपहर बाद वे  पटना लौटे  लेकिन विधानसभा  की कार्यवाही   में भाग लेना उन्होंने लोकतांत्रिक मर्यादा के लिए जरूरी नहीं समझा। उनके इस रवैये का जो कारण बताया जा रहा है उससे यह लग  रहा  है कि राजद परिवार में सब कुछ ठीक ठाक  नहीं चल रहा है।
दरअसल मंत्री विजय सिन्हा ने मंगलवार को यहां बयान देते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव ने अपने परिवार में एक शर्त रखी है। शर्त में उन्होंने अपने बड़े भाई तेजप्रताप यादव को आड़े हाथों लिया है। तेजस्वी ने शर्त रखी  है कि जब तक तेजप्रताप को राजद से नहीं निकाला जायेगा वह विधानसभा  के सत्र  में हिस्सा नहीं लेंगे। हालांकि तेजस्वी या फिर राजद परिवार के किसी भी सदस्य ने इस पर कोई सफाई नहीं दी है।
लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे से तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच खींचतान चल रही थी। तेजप्रताप शिवहर और जहानाबाद सीट पर अपनी  पंसद के उम्मीदवार को उतारना चाह रहे थे लेकिन ये दोनों सीट महागठबंधन में दूसरी  पार्टी के पास चली जाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। इसे लेकर अप्रत्यक्ष रूप से तेजप्रताप हमेशा तेजस्वी को आरोपित करते रहे थे। राजद की अब तक सबसे बड़ी हार का कारण कहीं  न कहीं  उनके परिवार को भी माना जा रहा था। इसमें भी खास तौर पर तेजप्रताप और उनकी बड़ी बहन मीसा भारती को। मीसा ने भी पाटलिपुत्र सीट पर लड़ने के लिए तेजस्वी पर दबाव बनाया था। इससे तेजस्वी पर पार्टी और परिवार दोनों के बीच समांजस्य बनाये रखना मुश्किल हो गया था। अंतत: राजद के लिए परिणाम विस्फोटक ही रहा और इसकी लपेट में महागठबंधन के अन्य दल भी आ गये।

 


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