नई दिल्ली, 23 जून (हि.स.)। भारत अगले सप्ताह अग्नि श्रृंखला के सबसे नए वेरिएंट ‘अग्नि प्राइम’ मिसाइल का परीक्षण ओडिशा तट पर करने की तैयारी कर रहा है। अत्याधुनिक अग्नि प्राइम को 4,000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-4 और 5,000 किलोमीटर की अग्नि-5 मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीकों के साथ विकसित किया गया है। नई मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किमी. से 1500 किमी. तक होगी।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण तीन महीने तक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना, कोविड रोधी दवा 2डीजी विकसित करने, वेंटिलेटर, पीपीई, मास्क का इंतजाम करने में लगा रहा। अब महामारी का प्रकोप कम होने के बाद प्रमुख रक्षा एजेंसी अपने मूल पेशेवर भूमिका में दिखने के लिए तैयार है। कोरोना प्रतिबंधों के बीच अगले सप्ताह की शुरुआत में 28-29 जून को अग्नि श्रृंखला की नई मिसाइल का परीक्षण ओडिशा तट पर किये जाने की तैयारी है। मिसाइल के निर्धारित परीक्षण के लिए एयरमेन (नोटम) पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है। सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो सोमवार को मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में ‘अग्नि प्राइम’ मिसाइल की स्ट्राइक रेंज 1000 किमी. से 1500 किमी. तक होगी। डीआरडीओ ने पिछले साल सितम्बर और अक्टूबर में छह सप्ताह के भीतर 12 मिसाइलें लॉन्च करके दुनिया को अचंभित कर दिया था। डीआरडीओ ने कोरोना महामारी से पहले आखिरी परीक्षण 5 मार्च को ओडिशा तट के एकीकृत परीक्षण रेंज में किया था। यह मिसाइल तकनीक सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) थी, जो भारत को लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल विकसित करने में मदद करेगी। ’अग्नि प्राइम’ को 4000 किलोमीटर की दूरी वाली अग्नि-4 और 5000 किलोमीटर की अग्नि-5 मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीकों के साथ विकसित किया गया है।
अग्नि परियोजना से जुड़े एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि अग्नि-I सिंगल-स्टेज की मिसाइल है जबकि ‘अग्नि प्राइम’ मिसाइल दो चरणों वाली है। ठोस ईंधन वाली इस मिसाइल को उन्नत रिंग-लेजर गायरोस्कोप पर आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम के जरिये निर्देशित किया जाएगा। दोनों चरणों में समग्र रॉकेट मोटर्स और मार्गदर्शन प्रणाली इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स से लैस हैं। डबल-स्टेज अग्नि प्राइम में एक कनस्तर संस्करण होगा, जिससे इसे सड़क और मोबाइल लॉन्चर दोनों से फायर किया जा सकता है। नई प्रौद्योगिकियों के एकीकरण के कारण पिछले संस्करण की तुलना में कम वजन वाली यह मिसाइल मारक क्षमता के मामले में अधिक घातक होगी।
भारत की पहली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के रूप में अग्नि- I का पहला परीक्षण मई 1989 में किया गया था। 700 किमी. से 900 किमी. की मारक क्षमता वाली अग्नि-I को 2004 में सशस्त्र बलों में शामिल किया गया था। सफल प्रायोगिक परीक्षणों के बाद अग्नि प्राइम मिसाइल के सशस्त्र बलों में अग्नि-I मिसाइल की जगह लेने की उम्मीद है। भारत के पास फिलहाल सबसे महत्वाकांक्षी अग्नि श्रृंखला में पांच मिसाइलें हैं।