चारा घोटाले के देवघर मामले में लालू को जमानत, पर जेल से फिलहाल बाहर नहीं आ पाएंगे

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89 लाख रुपये की अवैध निकासी मामले में झारखंड हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका



रांची, 11 जुलाई (हि.स.)। चारा घोटाले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झारखंड उच्च न्यायालय से चारा घोटाले के देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में राहत मिली है। उन्हें जमानत तो मिल गई। इसके बावजूद फिलहाल वे जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे क्योंकि चारा घोटाले के तीन मामलों में वह सजायाफ्ता हैं। ऐसे में जबतक दो अन्य दुमका और चाईबासा मामले में भी उनको जमानत नहीं मिलती है, तबतक जेल से बाहर आ पाना मुमकिन नहीं है। इसके अलावा इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट से बेल रिजेक्‍शन के बाद झारखंड उच्‍च न्‍यायालय ने सुनील गांधी को जमानत दी है।

शुक्रवार को चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह (एके सिंह) की अदालत ने लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्‍हें राहत प्रदान की। कोर्ट ने आधी सजा काटने की शर्त पर 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर उन्‍हें जमानत दी है। सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने लालू प्रसाद की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लालू की जमानत याचिका खारिज कर दी है। ऐसी स्थिति में झारखंड उच्च न्यायालय को भी जमानत नहीं देनी चाहिए।

लालू प्रसाद यादव के अधिवक्‍ता देवर्षि मंडल ने बताया कि सीबीआई ने चारा घोटाले के 64ए देवघर कोषागार से अवैध कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में लालू 25 माह की सजा काट चुके हैं। आज सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद को मेरिट के आधार पर जमानत दी है। पांच लाख रुपये का जुर्माना भी उन्‍हें अदा करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सजा की आधी अवधि जेल में काटने पर सजायाफ्ता को जमानत दी जा सकती है। इसी को आधार बनाकर लालू यादव ने झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी। फिलहाल दो मामलों दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी (68ए और 38ए) में उन्हें जमानत नहीं मिली है। इसलिए उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा।

उल्लेखनीय है कि लालू ने इसी साल 13 जून को झारखंड उच्च न्यायालय में देवघर कोषागार मामले में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। 5 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की और प्रार्थी को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था। आज शुक्रवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालू की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया।

दुमका और चाईबासा मामले में भी जमानत याचिका दायर कर सकते हैं लालू के वकील

लालू को देवघर मामले में तो जमानत मिल गई लेकिन चाईबासा और दुमका मामले में लालू को जमानत नहीं मिली है। बताया जा रहा है कि अब लालू के वकील देवघर कोषागार केस में मिली जमानत को आधार बनाकर दुमका और चाईबासा मामले में भी जमानत के लिए याचिका डाल सकते हैं।

दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार मामले में सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाई है सजा

लालू को चारा घोटाले के दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार मामले में सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाई है। अवैध निकासी के दुमका मामले में पांच तथा चाईबासा मामले में लालू को सात साल की सजा हुई है। इसके अलावा चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में 23 दिसंबर 2017 को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया था। इस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालू यादव को साढ़े 3 साल की सजा सुनाई थी। लालू सजा की आधी अवधि जेल में काट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, सजा की आधी अवधि जेल में काटने पर सजायाफ्ता को जमानत दी जा सकती है। इसी को आधार बनाकर लालू यादव ने झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी।

17 मार्च 2018 से रिम्स में इलाजरत हैं लालू

पिछले साल 17 मार्च को लालू की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पहले रांची के रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) और फिर दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था। कोर्ट ने उन्हें 11 मई को इलाज के लिए छह हफ्ते की पैरोल मंजूर की थी। इसे बढ़ाकर 14 और फिर 27 अगस्त तक किया। इसके बाद कोर्ट ने 30 अगस्त को लालू को कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया था। उसके बाद से लालू रिम्स में इलाजरत हैं। वे रिम्स के पेइंग वार्ड में भर्ती हैं। लालू अनियंत्रित डायबिटीज, हाईब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारी, क्रॉनिक किडनी डिजीज (स्टेज थ्री), फैटी लीवर, पेरियेनल इंफेक्शन, हाइपर यूरिसिमिया, किडनी स्टोन, फैटी हेपेटाइटिसए प्रोस्टेट आदि बीमारियों से पीड़ित हैं।

 


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