पटना, 2 दिसम्बर (हि.स.): यह लगभग तय मन जरह है कि लालू यादव ही राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बने रहेंगे. इस पद पर चुनाव के लिए कल यानि मंगलवार को नामांकन पत्र दाखिल करना है और पार्टी सूत्रों की मानें तो लालू का नामांकन पत्र उनके प्रतिनिधि जमा करेंगे. यह खबर इन कयासों के बीच आई है कि दस बार अध्यक्ष रह चुके लालू शायद यह पद परिवार के ही किसी सदस्य तो दे दें. चर्चाओं में नाम तेजस्वी यादव और उनकी माँ राबड़ी देवी का आरहा था.
लालू चारा घोटाला के मुकदमों में सजायाफ्ता होकर जेल में हैं और अभी रांची के रिम्स में इलाज करा रहे हैं.पार्टी के सरे नीतिगत फैसले जेल या अस्पताल से ही होते है. हालाँकि लालू के जेल से निकलने की अभी कोई सम्भावना नहीं लग रही है. लेकिन राजद सुप्रीमो ने यह फैसला प्रायः इस लिए लिया है कि किसी दूसरे को पार्टी अध्यक्ष पद पर बिठा देने से दल में बेचैनी पैदा हो सकती है और शायद टूट भी होसकती है क्योंकि परिवार में आपसी मन मुटाव कोई ढका छुपा नहीं है.
लालू के फैसे से जहाँ तेजस्वी यादव और उनके समर्थक उदास होसकते हैं वहीँ यह खबर तेज प्रताप और मीसा भारती के लिए ख़ुशी का कारण भी होसकती है. लालू के बड़े पुत्र और बड़ी पुत्री नहीं चाहते कि तेजावी को कोई और अधिकार मिले. तेजस्वी को लालू राजद विधान मंडल दल के नेता और विधान सभा में नेता विरोधी दल का पद दिला चुके हैं.
पार्टी सूत्रों के कहना है कि पार्टी की कमान अपने पास ही रखने के निर्णय लालू ने बहुत सोच समझ कर लिया है कि. अपने समधी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के हश्र उनके सामने है और पार्टी की कमान अपने पुत्र अखिलेश यादव को सौंपने के बाद मुलायम की क्या हैसियत रह गयी वह भी सब के सामने है. लालू ऐसा कोई रिस्क या झमेला मोल लेना नहीं चाहते. न ही वह यह कहते हैं कि जिस पार्टी को उन्होंने अपनी मेहनत से जनता दल से तोड़ कर बनाया और आगे पढ़ाया उस में उनकी हैसियत मुलायम जैसी हो जाये. अभी हाल ही में लोजपा की कमान अपने पुत्र चिराग पासवान को सौंपने के बाद राम विलास पासवान ने लालू को सुझाव दिया था कि वरिष्ठ नेताओं को चाहिय कि नयी पीढ़ी को नेत्रितिव हंस्तान्त्रित करदें.
पार्टी के स्थापना के बाद से लालू यादव पार्टी के लगातार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाते रहे हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर निर्वाचन को लेकर पार्टी का संविधान तक बदला जा चुका है. लालू यादव के ताजा फैसले में तेजस्वी के करीबी नेताओं को मायूस कर दिया है. सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा हो रही थी कि लालू हो साकता है कि तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान सौंप दे. यह भी चर्चा थी कि एक बार जिस तरहं पत्नी को मुख्यमंत्री बन दिया था होसकता है उसी तरह अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा दें, लेकिन लालू ने अभी नेतृत्व परिवर्तन से परहेज किया है. माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अपने नाम का दबदबा बनाये रखने के साथ-साथ परिवार के अंदर मचे घमासान को और आगे बढ़ने से रोकने के लिए लालू ने यह फैसला लिया है.