लेडी टारजन पद्मश्री जमुना टुडू के संघर्षपूर्ण जीवन पर बनेगी फिल्म

0

मुंबई के फिल्म निर्माता-निर्देशक चिलुकुरी प्रसाद और कथा लेखक धर्मेंद्र बघेल ने की मुलाकात जमुना टुडू ने अनुमति पत्र पर किया हस्ताक्षर, इसी साल के अंत में शुरू होगी शूटिंग



रांची, 01 अगस्त (हि.स.)। वन एवं पर्यावरण के संवर्द्धन व संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने और पेड़-पौधों को अपनी संतान मानने वाली लेडी टारजन के नाम से मशहूर पद्मश्री जमुना टुडू के संघर्षपूर्ण जीवन पर फिल्म (बायोपिक) बनेगी। इसे मुंबई की फिल्म निर्माण कंपनी ए विलेज टॉकिज प्रोडक्शन बनाएगी।
जमुना के जीवन पर फिल्म बनाने के उद्देश्य से मुंबई के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक चिलुकुरी प्रसाद और कथा लेखक धर्मेंद्र बघेल बुधवार शाम चाकुलिया पहुंचे और काकड़ीशोल स्थित जमुना टुडू के आवास पर उनसे मुलाकात की। बातचीत के बाद फिल्म निर्माता ने जमुना टुडू से अनुमति लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी कराया। उन्होंने बताया कि इस साल के अंत में फिल्म की शूटिंग शुरू होगी। जमुना के गांव मुटुरखाम और चाकुलिया के अलावा रांची सहित झारखंड के अन्य कई हिस्सों में इसकी शूटिंग होगी।
उल्लेखनीय है कि जंगलों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए जमुना टुडू ने वर्ष 2004 में वन रक्षक समिति बनाई। इससे गांव की 60 महिलाएं जुड़ीं और अब 300 महिलाओं का समूह है, जो इलाके में जंगल काटने नहीं देता है। पूरा गांव पेड़ों को राखी बांधता है। बेटी पैदा होने पर 18 पौधे रोपने की परंपरा है। विवाह के वक्त 10 पौधे परिवार को दिए जाते हैं। यह परंपरा जमुना ने ही शुरू कराई है।
रक्षाबंधन पर पेड़ों को बांधती हैं राखी
जमुना टुडू पिछले कई वर्षों से जंगल बचाओ आंदोलन इस इलाके में चला रही हैं। हर साल रक्षाबंधन पर पर्यावरण की रक्षा के लिए वाे महिलाओं के साथ सामूहिक रूप से राखी बांधती हैं। उनके प्रयास से 50 हेक्टेयर वनभूमि का संरक्षण किया गया है। वेे कहती हैं कि सभी पेड़-पौधों मेरे बच्चों की तरह हैं। जंगल को बचाने की प्रेरणा मुझे पिता से मिली। उनकी परवरिश ही जंगल क्षेत्र में हुई है। इस कारण जंगल से उन्हें बहुत लगाव है।
जंगल कटाई रोकने के लिए वन माफिया से भी भिड़ चुकी हैं जमुना
झारखंड के सिंहभूम जिले की 38 साल की जमुना टुडू जंगल की कटाई रोकने के लिए कई बार वन माफिया से भिड़ चुकी हैं। ओडिशा की रहने वाली जमुना की शादी 1998 में चाकुलिया के बेड़ाडीह टोला गांव में हुई थी। शादी के बाद जमुना को लगा कि उनके गांव के आसपास जंगलों की ज्यादा कटाई हो रही है। उन्होंने गांववालों से कटाई रोकने को कहा लेकिन किसी ने उनका साथ नहीं दिया। धीरे-धीरे उन्होंने महिलाओं को जागरूक किया और मात्र चार महिलाओं को साथ लेकर उन्होंने जंगल कटाई रोकने की मुहिम शुरू की।
फिलिप्स ब्रेवरी अवार्ड और स्त्री शक्ति अवार्ड भी पा चुकी हैं टुडू
जंगल बचाने की मुहिम को देखते हुए जमुना टुडू को 2013 में फिलिप्स ब्रेवरी अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया। 2014 में उन्हें स्त्री शक्ति अवाॅर्ड मिला। 2016 में देश की प्रथम 100 महिलाओं में शामिल की गईं। राष्ट्रपति ने उन्हें दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया। जमुना टू़डू को इसी वर्ष मार्च में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से भी नवाजा है।
राष्ट्रपति व पीएम ने की थी हौसला अफजाई
दिल्ली में आयोजित समारोह में अपने पति मान सिंह टुडू के साथ गई जमुना को पद्मश्री देने के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि आप दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनकर जंगल बचाने के क्षेत्र में बेहतर कार्य जारी रखें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जमुना से कहा कि अपने बेहतर कार्य के जरिए उन्होंने राज्य का नाम रोशन किया है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *