लॉकडाउन के आघात से बाहर लाने के लिए प्रवासी मजदूरों को दी जाए सामाजिक सुरक्षा: सरकार
नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए 21 दिन के घोषित लाॅकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को हुए सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तनाव से बाहर लाने के लिए सामाजिक सुरक्षा दी जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में एक पत्र जारी कर मजदूरों को इस आघात से बाहर लाने के लिए जरूरी बताया है।
दस्तावेज में कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों के सामने भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य सुविधा और रोजी-रोटी से हाथ धो बैठने की चिंता के अलावा वायरस के संक्रमण का भय भी मन में बैठ गया है। मंत्रालय ने माना कि कभी-कभी उन्हें शोषण के अलावा स्थानीय समुदायों की नकारात्मक टिप्पणियों का भी सामना करना पड़ा।
इन परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें मजबूत सामाजिक सुरक्षा की दरकार है, जिससे उन्हें इस दंश के कारण हुए भावनात्मक एवं मानसिक आघात से बाहर लाया जा सके।
मंत्रालय ने लॉकडाउन घोषित होने के बाद प्रवासी मजदूरों के सामने पैदा हुई समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि अपने मूल निवास स्थान पर पहुंचने के दौरान कुछ दिनों तक इन लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों पर रहना पड़ा। बेहद मुश्किल भरी यात्रा के अनुभवों ने इन मजदूरों को भयभीत मनोदशा में पहुंचा दिया।
मंत्रालय ने इस समस्या के समाधान के रूप में मजदूरों के साथ स्थानीय समुदायों द्वारा इनके प्रति सम्मान, सहानुभूति और करुणामय व्यवहार करने का सुझाव दिया है। साथ ही काम की तलाश में दूसरे शहरों में गए प्रवासी मजदूरों को वापस लौटने पर समाज द्वारा उन्हें पहले की ही तरह न सिर्फ स्वीकारे जाने की जरूरत बताई है बल्कि स्थानीय लोगों को उनकी हर प्रकार से सहायता करने के महत्व को भी रेखांकित किया है क्योंकि उन्हें एक असामान्य एवं असाधारण परिस्थिति के कारण इस अनिश्चितता के दौर से गुजरना पड़ा।