लखनऊ, 23 अप्रैल (हि.स.)। लॉकडाउन के दौरान कोरोना संक्रमित या संभावित गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच और सुरक्षित प्रसव को लेकर योगी सरकार ने खास सतर्कता बरतने के निर्देश दिये हैं। इसके लिए अस्पतालों में कोविड लेबर रूम और कोविड ओटी के जरिए विशेष इंतजाम करने को कहा गया है। साथ ही चिकित्सा इकाइयों में आवश्यक आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल रखने के निर्देश दिये गये हैं।
संक्रमण फैलने से रोकने के हों उपाय
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से कहा है कि कोरोना संक्रमित या संभावित गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच और प्रसव के साथ ही नवजात के देखभाल की समुचित व्यवस्था दुरुस्त रहनी चाहिए। इस दौरान संक्रमण को फैलने से रोकने वाले सभी जरूरी उपाय अपनाये जाएं। इस बारे में उन्होंने विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किया है।
इसमें कहा गया है कि सभी चिकित्सालयों में आइसोलेशन वार्ड से सटा हुआ ‘कोविड लेबर रूम’ और जिला महिला चिकित्सालय में सी-सेक्शन (सिजेरियन) के लिए कोविड ओटी तैयार की जाए। वहां पर समुचित सावधानी बरती जाए, पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट), कीटाणुशोधन और बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण की कार्यवाही मानकों के अनुरूप कराई जाए। इस बारे में सभी स्टाफ को संक्रमण, इसकी रोकथाम और नियंत्रण प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाए।
सीएचसी-एफआरयू में भी कोविड लेबर रूम तैयार
इसके अलावा सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) में कोविड लेबर रूम तैयार किया जाए, जहां पर एक लेबर टेबल और जरूरी उपकरणों सहित कोविड संक्रमित-संभावित गर्भवती के प्रसव के लिए स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कम से कम 1-2 पीपीई किट्स का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए।
संक्रमित गर्भवती को कहीं और नहीं किया जाएगा रेफर
यदि कोई कोविड संभावित-संक्रमित गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा-एपीएच स्थिति में सीएचसी-एफआरयू में आती है तो उन्हें और कहीं रेफर नहीं किया जाए बल्कि वहीं पर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मानकीय सावधानी बरतते हुए पीपीई का इस्तेमाल करते हुए सुरक्षित प्रसव कराया जाए। इसके लिए बाकायदा एक फ्लो चार्ट भी जारी किया गया है।
102 एम्बुलेंस गर्भवती महिलाओं के लिए होगी इस्तेमाल
इसके साथ ही 102 एम्बुलेंस का उपयोग गर्भवती महिलाओं, विशेषकर उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को निकट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला महिला चिकित्सालय में रक्त जांच व अन्य जांचों जैसे अल्ट्रासाउंड सहित प्रसव पूर्व देखभाल के लिए लाने के लिए किया जाता रहेगा। यदि कोरोना से संक्रमण के कोई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे सर्दी, खांसी, बुखार और सांस फूलना आदि तो केवल 108 एम्बुलेंस की मदद से ही अस्पताल जाएं। एम्बुलेंस में भी सोशल डिस्टेंशिंग का ख्याल रखा जाए।
कोरोना गर्भवती को एल-1 अस्पताल में नहीं लाने के निर्देश
आशा और एएनएम कोरोना संभावित-पुष्टि वाली गर्भवती महिलाओं की लाइन लिस्टिंग करेंगी और जिला चिकित्सालयों में प्रसव के लिए जन्म की योजना के बारे में परामर्श देंगी। इस बारे में वह प्रभारी चिकित्सा अधिकारी-चिकित्सा अधीक्षक को सूचित भी करेंगी। यह स्पष्ट कहा गया है कि आशा व एएनएम किसी भी गर्भवती को एल-1 चिकित्सा इकाई पर न लाएं।
स्वस्थ नवजात रहेगा मां के साथ
इसके साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि मां की कोविड स्थिति के बावजूद शुरूआती स्तनपान कराना सुनिश्चित किया जाए। स्वस्थ नवजात को मां के साथ ही रखा जा सकता है। मां द्वारा मास्क पहना जाए और हाथों को अच्छी तरह से धुला जाए। यदि मां या बच्चे की बीमारी के कारण स्तनपान संभव न हो तो नवजात के लिए अलग से मां का दूध (एक्सप्रेस्ड मदर मिल्क) दिया जा सकता है। सीएचसी-एफआरयू में न्यू बार्न स्टेबलाईजेशन यूनिट (एनबीएसयू) और जनपद स्तर पर सिक न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) की क्रियाशीलता सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा टीकाकरण की जन्मजात खुराक दी जाए।