कोटा के सरकारी अस्पताल में 100 बच्चों की मौत पर ट्विटर वार

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लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने फिर लिखा मुख्यमंत्री को पत्र बसपा प्रमुख मायावती ने गहलोत और प्रियंका पर कसा तंज मुख्यमंत्री बोले- इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए 



जयपुर, 02 जनवरी (हि.स.)। कोटा के सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत पर अब सियासत गर्माने लगी है। इस मामले में बसपा प्रमुख मायावती भी सक्रिय हो गईं। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट कर कोटा में तकरीबन 100 बच्चों की मौत का उल्लेख करते हुए इशारों-इशारों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसा। मायावती ने कहा कि बच्चों की मौत पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व, खासकर महिला महासचिव की चुप्पी दुखद है। इसके बाद सोशल मीडिया पर ट्विटर वॉर छिड़ गया है। मायावती के ट्वीट का जवाब मुख्यमंत्री गहलोत ने यह कहकर दिया कि इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उधर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस मामले में मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखा है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे से चर्चा की। लोकसभा अध्यक्ष एवं कोटा के सांसद ओम बिरला ने भी बच्चों की मौत पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री को एक बार फिर चिट्ठी लिखी है।
मायावती ने गुरुवार सुबह ताबड़तोड़ तीन ट्वीट किए। पहले ट्वीट में प्रियंका गांधी पर तंज कसा गया तो दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राजस्थान के कोटा जिले में हाल ही में लगभग 100 मासूम बच्चों की मौत से माताओं की गोद उजड़ना अति दुखद और दर्दनाक है। इसके बाद भी मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी सरकार इसके प्रति अभी भी उदासीन, असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदार बने हुए हैं। यह निंदनीय है।
इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार सुबह मोर्चा संभाला और ट्वीट भी किए। गहलोत ने ट्वीट में लिखा कि कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीमार शिशुओं की मृत्यु पर सरकार संवेदनशील है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कोटा के इस अस्पताल में शिशुओं की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। हम आगे इसे ज्यादा कम करने के लिए प्रयासरत हैं। मां और बच्चे स्वस्थ रहें, यह हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने लिखा कि राजस्थान में सर्वप्रथम बच्चों के आईसीयू की स्थापना हमारी सरकार ने 2003 में की थी। कोटा में भी बच्चों के आईसीयू की स्थापना हमने 2011 में की थी। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए केंद्र सरकार के विशेषज्ञ दल का भी स्वागत है। हम उनसे विचार विमर्श और सहयोग से प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं में इम्प्रूवमेंट के लिए तैयार हैं। निरोगी राजस्थान हमारी प्राथमिकता है।
उधर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे से ताजा हालात और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी ली। सोनिया से मुलाकात के बाद पांडे ने पत्रकारों को बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष के पास एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। सोनिया गांधी कोटा के मामले पर चिंतित हैं।
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी मुख्यमंत्री गहलोत को बच्चों की मौत पर चिट्ठी लिखी है। पत्रकारों से बातचीत में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखा है। केंद्र सरकार अपनी तरफ से हरसंभव मदद देने के लिए तैयार है।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने बच्चों की मौत पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री गहलोत को एक बार फिर खत लिखा है। बिरला ने इसकी जानकारी ट्वीट करके दी है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत को पुनः स्मरण पत्र भेजकर कोटा के जेके लोन चिकित्सालय में शिशुओं की असमय मृत्यु की प्रतिदिन बढ़ती संख्या को देखते हुए संवेदनशीलता के साथ चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए आग्रह किया है।
नहीं थम रहा सिलसिला
जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा। इस मामले को लेकर देशभर में मचे बवाल और अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने के आदेश के बीच बुधवार को एक अन्य नवजात की सांसें थम गईं। गायनी विभाग के ई-वार्ड में भर्ती कॉपरेन के पास हांडीखेड़ा गांव निवासी पार्वती की चार दिन की बच्ची ने दम तोड़ दिया। उसकी मौत का कारण तेज ठंड को माना जा रहा है। महज दो दिन 30 और 31 दिसम्‍बर को इस अस्पताल में नौ बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा पूरे दिसम्बर में नवजातों की मौत का आंकड़ा 100 तक पहुंच गया। बीते पूरे साल के 365 दिन की बात की जाए तो 2019 में 963 बच्चों ने दम तोड़ा। महज दिसम्बर में 100 बच्चों की मौत के बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर गर्मा गया है।
चिकित्सा मंत्री ने दी थी क्लीनचिट
राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने जेके लॉन अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में अपने विभाग को क्लीन चिट दी थी। डॉ. शर्मा ने कहा था कि बच्चों की मौत चिकित्सकों या मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही या संक्रमण के कारण नहीं हुई है। सरकार की ओर से गठित कमेटी ने अपनी जांच में माना है कि बच्चों की मौत गंभीर रोगों के कारण हुई है।

 


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