दिल्ली-एनसीआर के रियल एस्टेट सेक्टर पर कोरोना की मार, अब नहीं दिखते चमकते शाइन बोर्ड

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नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर जहां कभी रियल स्टेट विज्ञापनों के बड़े-बड़े शाइन बोर्ड चमकते थे, वहीं आज सिर्फ उनके ढांचे खड़े हैं। कोरोना महामारी दिल्ली-एनसीआर के रियल स्टेट बाजार के लिए काल बनकर आयी है। इसके कारण दिल्ली-एनसीआर के रेजिडेंसियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी बाजार में खरीदारों की भारी कमी देखी जा रही है।
वैसे तो पिछले कई वर्षों से रियल स्टेट से जुड़े कारोबारी मंदी की मार झेल रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण ने उन्हें एक अंधेरी सुरंग में लाकर खड़ा कर दिया है। हालांकि रियल स्टेट कारोबार को गति देने के लिए सरकार ने जब से होम लोन की ब्याज दरें घटाई हैं तब से उन्हें अंधेरी सुरंग में रोशनी आने की आशा बंधी है। होम लोन की दरें 7 फीसद से भी नीचे आ चुकी हैं। एनसीआर में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में घरों की बिक्री 73 फीसदी गिरी है।
एकड़ एंड इन्चेज के महाप्रबंधक राजेश चैहान ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि लोग रियल स्टेट में इन्वेस्ट नहीं कर रहे हैं। अब यह इन्वेस्टर मार्किट नहीं रह गया है। केवल ओरिजिनल ग्राहक ही अपने रहने के लिए या व्यवसाय के लिए प्रॉपर्टी खरीद रहा है। प्रॉपर्टी की कीमतें इस समय बॉटम पर हैं, कीमतें इससे ज्यादा नीचे नहीं जा सकती हैं। प्रॉपेर्टी में पैसा लगाने का यह सही समय है।
कृष्णा प्रॉपर्टीज नोएडा के रियल स्टेट ब्रोकर चौधरी विक्रांत पायला ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि कोरोना के बाद ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं। सिर्फ 50 प्रतिशत ग्राहक ही प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आ रहे हैं। जो आते हैं वो एक करोड़ की प्रॉपर्टी के 70 लाख ही लगाते हैं। कोरोना के कारण व्यावसायिक प्रॉपर्टी के किराए में भी गिरावट आयी है। पहले 60 फीसद लोग रेस्टॉरेंट, स्कूल और सैलून चलाने वाले आते थे। अब 60 फीसद मेडिकल स्टोर या किराना दुकान चलाने वाले आते हैं। कोरोना के कारण नोएडा के बाज़ारों में दुकानों का किराया आधा कर दिया गया है। बिल्डरों के पास पैसा नहीं है इसलिए प्रचार भी नहीं कर पा रहे हैं। अब न ही कहीं होर्डिंग दिखती है और न अखबारों में विज्ञापन। होटलों में लगने वाली प्रदर्शनी तो लगभग खत्म ही हो गई है।

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