वित्त मंत्री के बजट भाषण में सबसे पहले आता है ये आंकड़ा, जानिए क्या होता है वित्तीय घाटा
नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। संसद में बजट पेश करते समय वित्तमंत्री के बजट भाषण में पहले और सबसे अहमियत वाला जो आंकड़ा आता है, उसे फिस्कल डेफिसिट यानी वित्तीय घाटा कहते हैं। वित्तमंत्री के इस आंकड़े पर सबकी नजर होती है।
क्या होता है वित्तीय घाटा
दरअसल सरकार जितनी कमाई करती है, जितना पैसा टैक्स से वसूलती है, उससे ज्यादा खर्च कर देती है। कमाई कम और ज्यादा खर्च के बीच जो अंतर आता है उसे ही वित्तीय घाटा कहते हैं।
कैसे होती है इसकी भरपाई
वित्तीय घाटे की भरपाई कहीं से उधार लेकर, विदेशी निवेशकों से, बांड या सिक्योरिटीज जारी करके सरकार इस घाटे की भरपाई कर लेती है। वित्तीय घाटे के बढ़ने का मतलब है कि सरकार की उधारी भी बढ़ेगी। यदि उधारी बढ़ेगी तो सरकार को ब्याज भी ज्यादा अदा करना होगा। इसलिए अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए वित्तीय घाटे को काबू में रखना बेहद जरूरी है।
एक तय सीमा में घाटा है सही
आमतौर पर सभी को पता है कि सरकार घाटे वाली बजट बनाती है लेकिन ये घाटा कितना होना चाहिए, ये सबसे महत्वपूर्ण बिंदू है। यह कहा जाता है कि घाटा एक तय सीमा में हो तो सही होता है।
वित्तीय घाटे पर बाजार की नजर
दरअसल वित्तीय घाटे पर बाजार की नजर रहती है। यही वजह है कि पिछले साल वित्तमंत्री ने कहा था कि वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.3 फीसदी होगा। अगर घाटा इसके आसपास रहता है तो ठीक है लेकिन जरूरत से ज्यादा वित्तीय घाटा होना बाजार को पसंद नहीं आता है।
क्या है वित्तीय घाटे का आंकड़ा
आमतौर पर बाजार यदि बजट में सबसे पहले किसी आंकड़े पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करता है और उस आंकड़े के दम पर ऊपर-नीचे होता है, तो वह है वित्तीय घाटे का आंकड़ा। जीडीपी के फीसदी में फिस्कल डेफिसिट (वित्तीय घाटा) की तुलना की जाती है। इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए वित्तीय घाटा पर काबू रखना जरूरी होता है।