नई दिल्ली, 29 जून (हि.स.)। केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को अपना पहला आम बजट पेश करने वाली हैं। इससे एक दिन पहले वह संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी। वहीं, वित्त मंत्रालय में हलवा सेरेमनी के बाद बजट डॉक्यूमेंट्स के छपने का काम शुरू हो चुका है। दरअसल जिस तरह आप अपने घर के इनकम और खर्च का हिसाब-किताब लगाते हैं। उसी तरह वित्त मंत्रालय भी बजट के जरिए पूरे वित्त वर्ष यानी 2019-20 के लिए देश के लिए आय-व्यय का ब्योरा तैयार करता है।
यही वजह है कि लोगों को बजट का बेसब्री से इंतजार रहता है। इसके जरिए ही सरकार टैक्स में छूट और चीजों के दाम में कटौती भी करती है। हिन्दुस्थान समाचार अब तक पेश हुए बजट में से कुछ खास बजट के बारे में आपको बता रहा है, जिसकी चर्चा बजट के पहले जरूर होती है।
ब्लैक बजट
वित्त वर्ष 1973-74 के लिए संसद में पेश किए गए बजट को ब्लैक बजट कहा जाता है। दरअसल इस साल के बजट में 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया था, जो उस वक्त के लिहाज से बहुत अधिक था। इसके अलावा एक वजह यह भी थी कि इस बजट में कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण का ऐलान भी किया गया था। उस समय की सरकार को स्टील, पावर और सीमेंट सेक्टर के लिए कोयले की मांग को पूरी करना था। इस बजट को यशवंतराव बी. चव्हाण ने पेश किया था।
एपकल बजट
देश में आर्थिक संकट के दौरान साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री और तब के वित्तमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए आम बजट को एपकल बजट (परिवर्तनकारी बजट) कहा जाता है। इस बजट में आयात-निर्यात नीति में बहुत बड़ा बदलाव किया गया और भारतीय अर्थव्यवस्था को ग्लोब इकोनॉमी (वैश्विक अर्थव्यवस्था) बनाने के लिए भी कदम उठाए गए थे।
कॉरपोरेट टैक्स
पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस सरकार में वित्तमंत्री रहे वी.पी. सिंह के सरकार से इस्तीफा देने के बाद साल 1987 में राजीव गांधी ने आम बजट पेश किया था। उन्होंने ही बजट में कॉरपोरेट टैक्स को इंट्रोडूयस (परिचित) कराया।
रोलबैक बजट
केंद्र की एनडीए की सरकार में वित्त वर्ष 2002-03 में वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश किया था। इस बजट को रोलबैक बजट कहा जाता है। इस बजट में यशवंत सिन्हा को अपने कई प्रस्ताव वापस लेने पड़े थे। उन्होंने खाद पर सब्सिडी घटाई और सेक्शन-88 में टैक्स छूट को भी घटाया था।
बजट की तारीख बदली
वित्त वर्ष 2016-17 तक केंद्रीय बजट को लोकसभा में फरवरी के अंतिम कार्यदिवस पर पेश किया जाता था लेकिन वित्तवर्ष 2017-2018 से वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे बदलकर एक फरवरी को पेश करना शुरू किया।
बजट का समय बदला
साल 2000 तक केंद्रीय बजट शाम पांच बजे ही पेश की जाती थी लेकिन यशवंत सिन्हा ने वित्तवर्ष 2001-2-02 में दिन के 11 बजे बजट पेश करने की नई परंपरा की शुरुआत की गई।
बिना बहस पेश किया गया बजट
प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के कार्यकाल के दौरान संवैधानिक संकट उत्पन्न होने के बाद साल 1996 में वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बगैर बहस के बजट पेश किया। इसके एक साल बाद फिर उन्होंने ‘ड्रीम बजट’ का प्रस्ताव रखा।
रेल बजट को किया समाप्त
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दारान वर्ष 2017 में रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया। इससे पहले तक दोनों बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे।
पहली महिला वित्तमंत्री
निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्तमंत्री होंगी। उनसे पहले इंदिरा गांधी ने वित्त वर्ष 1970-71 में आम बजट पेश किया था। उस वक्त वह देश की प्रधानमंत्री थी, जिन्होंने वित्त मंत्रालय का प्रभार भी संभाला रखा था।