नई दिल्ली, 22 मई (हि.स.)। राजधानी दिल्ली में कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए दिल्ली सरकार के जरिए लगाए गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले और रिक्शा चालक प्रभावित हुए हैं। इन लोगों की मदद के लिए कई संगठन काम कर रहे हैं। पुरानी दिल्ली क्षेत्र में टैलेंट नाम की संस्था की तरफ से ऐसे तमाम लोगों की मदद के लिए पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। संस्था की तरफ से मास्क और सैनेटाइजर के साथ-साथ बेसहारा लोगों के संक्रमित होने पर खासतौर से तैयार ऑटो सेवा के जरिए अस्पताल पहुंचाने का काम भी किया जा रहा है।
टैलेंट नामक संस्था दिल्ली में स्टोरी टेलिंग (किस्सागोई) के लिए प्रसिद्ध है लेकिन संस्था से जुड़े लोगों ने पुरानी दिल्ली में महामारी के वक्त में सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों की सहायता का बीड़ा उठाया हैं। यह संस्था दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा-ठेले वालों, झल्ली वालों और फुटपाथ पर अपना जीवन व्यतीत करने वालों को सहारा देने का काम कर रही है। संस्था की तरफ से दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद से प्रतिदिन सुबह और शाम में खाना तैयार कराया जाता है। फिर उसे ठेले पर रख पूरे इलाके में इस तरह के सभी लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर खाना उपलब्ध कराया जा रहा है।
संस्था से जुड़े लोगों का कहना है कि दुकानें और कारोबार के पूरी तरह से बंद होने की वजह से इन लोगों को दो जून की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है। देश के कोने-कोने से अपनी जीविका कमाने के लिए दिल्ली आने वाले इस श्रमिक वर्ग को खाने के लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में संस्था की तरफ से उन्हें खाना उपलब्ध कराकर भूख से मरने से बचाने का काम किया जा रहा है। संस्था के जिम्मेदारों को कहना है कि पुरानी दिल्ली क्षेत्र में ऐसे बहुत सारे लोग मौजूद हैं जो प्रति दिन मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं। लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बंद है जिसकी वजह से इन लोगों को कोई काम नहीं मिल रहा है और वह बेसहारा फुटपाथ अपना जीवन जीने पर मजबूर है।
टैंलेंट के निदेशक इरशाद आलम खूबी का कहना है कि पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के दौरान भी संस्था ने मजदूरों और बेसहारा लोगों को खाना खिलाने का बीड़ा उठाया था और इस बार भी लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित इन्हीं लोगों को अपना लक्ष्य बनाया है। उनका कहना है कि यह कार्य करके काफी खुशी होती है क्योंकि उनकी संस्था का प्रमुख कार्य स्टोरी टेलिंग है लेकिन फिलहाल वह बंद है। उनका कहना है कि इन बेसहारा गरीबों का सहारा बनकर उन्हें दो वक्त का खाना खिलाने से दिल को काफी सकून मिलता है।
उन्होंने बताया कि वो खाना बनाकर ठेले पर रखकर अपने कुछ साथियों के साथ पुरानी दिल्ली की गलियों, सड़कों पर घूमते हैं और जहां कहीं भी उन्हें बेरोजगार लोग मिलते हैं, उन्हें खाना उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान मजदूर, गरीब बेसहारा लोगों को सैनेटाइजर और मास्क भी बांटा जा रहा है ताकि महामारी को फैलने से बचाया जा सके। उन्होंने एक ऑटो की भी व्यवस्था की है जिसके जरिए मुफ्त में बेसहारा लोगों को संक्रमण होने पर उन्हें अस्पताल पहुंचाने का काम किया जा रहा है। अब तक इस सेवा के जरिए दर्जन भर से ज्यादा लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया है।