नई दिल्ली, 12 नवम्बर (हि.स.)। चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अरुणाचल के साथ ही हिमाचल प्रदेश सीमा पर भी अपने सैनिकों के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण में तेजी लानी शुरू कर दी है। चीन ने एलएसी पर पिछले एक साल में किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों में नौ दर्रों के साथ सेना की उपस्थिति बढ़ाने के साथ ही सड़कों और पुलों का निर्माण तेज किया है। विदेश मंत्रालय ने अभी कल ही आधिकारिक तौर पर माना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा और उस क्षेत्र पर चीन की ओर से कई वर्षों से निर्माण कार्य किया जा रहा है। पहले भी इस तरह की रिपोर्टें सामने आई थीं।
हिमाचल प्रदेश पुलिस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने पिछले एक साल में किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों में एलएसी पर पड़ने वाले नौ दर्रों के साथ सेना की उपस्थिति बढ़ाने के साथ ही सड़कों और पुलों का निर्माण तेज किया है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में तिब्बत से लगभग 120 किलोमीटर का बॉर्डर एरिया लगता है। लाहुल-स्पीति जिले में भी लगभग 120 किलोमीटर का बॉर्डर एरिया चीनी सीमा से सटा हुआ है जिसमें कुछ हिस्सा लद्दाख से भी लगता है। हालांकि सीमा पर कई जगह भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान तैनात रहते हैं। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में केंद्र सरकार ने भी 20.750 किलोमीटर लंबी छितकुल-दुमती और 19.900 किलोमीटर लंबी थांगी-चारंग सड़क का निर्माण किया है।
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक पहाड़ी दर्रा और सीमा चौकी शिपकी ला के कुन्नू चारंग गांव के आसपास चीनी गतिविधियां देखी गईं हैं। लाहुल-स्पीति जिले में सीमावर्ती गांव के निवासियों ने चीन से 1962 की लड़ाई में भारतीयों सेना के जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चीनी सेना से मोर्चा लिया था। चीन पिछले एक साल में इस हिस्से में सड़कों, पुलों और हेलीपैड के निर्माण में तेजी लाने के अलावा अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। राज्य पुलिस ने एलएसी पर नौ दर्रों के साथ सेना के निर्माण और बुनियादी ढांचे में तेजी आने की जानकारी एक रिपोर्ट में दी है।
राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने भी पुष्टि की है कि पिछले एक साल के दौरान चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने हिमाचल प्रदेश के साथ सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे और निगरानी क्षमता में सुधार किया है। किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिले चीन के साथ 240 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। इसमें लाहौल-स्पीति के चुमार में 80 किलोमीटर और किन्नौर जिले के दारोटी से मुमरी डोगरी तक 160 किलोमीटर सीमावर्ती इलाका है। चीन चुरुप में पारेचु नदी के उत्तरी किनारे से नए भीतरी इलाकों तक एक नई सड़क का निर्माण कर रहा है। इसने सीमावर्ती गांवों शाक्तोट, चुरुप और डनमुर में निर्माण कार्य तेज कर दिया है।
यह भी जानकारी मिली है कि चीन ने चुरुप गांव में नए भवनों के अलावा उच्च गुणवत्ता वाले निगरानी उपकरणों से लैस नए पोस्ट स्थापित किए हैं। पीएलए ने मांजा और शांगरांगला के बीच लप्चा दर्रे के पास रांडो गांव में अपने स्थायी अड्डे के आसपास निर्माण कार्य तेज किया है। इस क्षेत्र में चीनी सेना की भारी मशीनरी और वाहनों की आवाजाही देखी गई है। चीनी सेना लप्चा दर्रा क्षेत्र में अपने सैन्य कर्मियों के लिए आवास का निर्माण कर रही है। इसके अलावा चीन ने क्यूक गांव में निर्माण सामग्री का स्टॉक करके लापशाक क्षेत्र में सैनिकों के लिए नई बैरकों का निर्माण किया है। चीन ने क्योरब्रांग दर्रे के पास री गांव में 5 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई है। पीएलए की निर्माण शाखा ने खेमकुर दर्रे के पास शियुल से खेमकुल को जोड़ने वाली सड़क को चौड़ा कर दिया है। घुगरंग दर्रे पर भी सड़क निर्माण देखा गया है।
क्षेत्र में भारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन करके चीनी हेलीकॉप्टरों के आने की सूचना के बाद से वायुसेना अलर्ट पर है। किन्नौर के संवेदनशील कौरिक सेक्टर में पिछले साल दो बार हेलीकॉप्टर घुसपैठ की खबर आई थी। स्पीति के एक गांव के पास चट्टानों पर पीएलए गश्ती दलों के आने की पुष्टि वहां चीनी सैनिकों की बीयर और एनर्जी ड्रिंक की बोतलें मिलने से हुई है। सीमा का यह इलाका भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की निगरानी में है। भारतीय सेना को दो माह पहले सितंबर में किन्नौर के गुंगरंग दर्रे पर आठ पीएलए कर्मियों के आने की जानकारी मिली थी। उस समय दोनों पक्षों के सैनिकों ने ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए थे।