बेगूसराय, 21 नवम्बर (हि.स.)। एशिया में शुद्ध जल की सबसे बड़ी झील और पक्षी अभयारण्य कावर झील की हालत अब बदलने वाली है। संसद में गूंज होने पर केंद्र ने इसकी सुध ली है। केंद्र ने जलीय ईको सिस्टम संरक्षण केंद्रीय प्लान के तहत देश की 100 झीलों में कावर झील को शामिल कर लिया है। राज्य सरकार के सहयोग से केंद्र इसे पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित करेगी।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कावर झील के लिए पहली किस्त के रूप में 32 लाख 76 हजार आठ सौ रुपये जारी किए हैं। कावर झील की बदहाली का मुद्दा सांसद प्रो राकेश सिन्हा ने 25 जुलाई को राज्यसभा में शून्यकाल में उठाया था।
यह झील देसी-विदेशी परिंदों के कलरव से गुंजायमान होती रही है। प्रथम पंचवर्षीय योजना में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने नहर बनवाकर कावर को बूढ़ी गंडक नदी से जुड़वाया था। 6311 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली इस झील को 1984 में बिहार सरकार ने पक्षी विहार का दर्जा दिया था। इस झील से उत्तरी बिहार का बड़ा हिस्सा लाभान्वित होता रहा है।