नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं ने कश्मीर मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कथित मध्यस्थता की पेशकश के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जबरदस्त घेराबंदी की और पूरे प्रकरण पर उनसे जवाब तलब किया।
संसद के दोनों सदनों और संसद के बाहर राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान छाया रहा, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मोदी ने ओसाका(जापान) में उनसे अनुरोध किया था कि वह कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मध्यस्थता करें। विपक्षी नेता इस संबंध में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नही थे बल्कि वह इस बारे में स्वयं मोदी की ओर से बयान चाहते थे।
राहुल गांधी ने मोदी पर देश के हितों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप कह रहे हैं कि मोदी ने उनसे कश्मीर मामले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने का आग्रह किया। यदि यह सही है तो प्रधानमंत्री ने भारत के हितों और 1972 के शिमला समझौते के साथ विश्वासघात किया है। राहुल ने आगे कहा कि इस प्रकरण पर विदेश मंत्रालय के लचर खंडन से काम नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री को स्वयं देश को यह बताना चाहिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी ने मोदी से पूछा कि आप ट्विटर पर इतना सक्रिय रहते हैं लेकिन क्या आपमें इतना साहस है कि आप राष्ट्रपति ट्रंप के सार्वजनिक रूप से दिए गए बयान का खंडन करें। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से मानता रहा है कि कश्मीर मामले में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। क्या मोदी सरकार ने भारत की यह लंबे समय से चली आ रही नीति को छोड़ दिया है। माकपा नेता ने कहा कि इस पूरे प्रकरण से जम्मू कश्मीर राज्य पर भारत की संप्रभुता और शिमला समझौते पर बुरा असर पड़ता है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह बहुत अजीब बात है। ऐसे में या तो अमेरिका के राष्ट्रपति झूठ बोल रहे हैं अथवा भारत ने कश्मीर मामले पर तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारने की नीति छोड़ दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने कहा कि लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप ठीक से नहीं समझ पाए कि मोदी उनसे क्या बात कह रहे हैं। कांग्रेस के अन्य नेता मनीष तिवारी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी के साथ हुई बातचीत का विस्तार से खुलासा किया है। उनका दावा बहुत गंभीर है। या तो उन्होंने पूरी बातचीत को खुद ही गढ़ लिया है अथवा यह भी हो सकता है कि वास्तव में ऐसी बातचीत हुई हो। पूरे प्रकरण पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की सफाई से काम नहीं चलेगा। मोदी को दोनों सदनों में स्वयं सफाई देनी चाहिए कि उन्होंने ट्रंप से मध्यस्थता के लिए कहा या नहीं।