न्यूयॉर्क, 16 जनवरी (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में चीन कश्मीर को एक बार फिर मुद्दा नहीं बना पाया। चीन को पिछले छह महीनों में तीसरी बार मुंह की खानी पड़ी। हालांकि पाकिस्तान ने भरपूर कोशिश की। उसने वियतनाम के साथ हमदर्दी दिखाई, नेकनीयती से पेश आया और कश्मीर पर विचारार्थ एजेंडे में स्थान देने के लिए पाकिस्तान ने एक नया पत्र भी थमा दिया। पाकिस्तान के चहेते चीन को इस बार भी ऐसी ‘मार’ पड़ी कि वह सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया। इस महीने सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता क्रमानुसार वियतनाम कर रहा था। यह बैठक बुधवार की देर सायं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बंद कमरे में तय थी।
इस मामले में भारत के राजनयिक मित्रों ने एक बार फिर मित्रता निभाई और सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य होने के बावजूद चीन कश्मीर को मुद्दा बनाने और अन्तरराष्ट्रीय मंच पर भारत को नीचा दिखाने में एक बार बेनक़ाब हो गया। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत सैयद अकबरूद्दीन ने तत्काल ट्वीट कर अपनी ख़ुशी साझा की। उन्होंने ट्वीटर हैंडल पर पहली पंक्ति के शुरू में लिखा,” टूडे एट यू एन॰॰॰ अवर फ़्लैग इस फलाइंग हाई। इस मामले में जो लोग एक ‘झूठमूठ के झंडे’ को लेकर आगे बढ़ने की कोशिश में थे, उन्हें करारा प्रहार झेलने को विवश होना पड़ा। इसके लिए कोई और नहीं भारतीय राजनयिक मित्र ही थे, जो कंधे से कंधा लगा कर खड़े थे।
असल में फ़्रांसीसी राजनयिक का पक्ष पिछली बार की तरह सीधा सादा पर स्पष्ट था। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का एक अंदरूनी मामला है, जिस पर बातचीत करने का कोई औचित्य नहीं है। बताया जाता है कि कश्मीर पर बातचीत को एजेंडे में रखने का अर्थ ही उलट जाता। इससे पाकिस्तान और चीन पर क्या गुज़री होगी? इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मुहम्मद कुरैशी इस आस में बुधवार को ही न्यूयॉर्क पहुंच गए थे कि इस बार चीन को सफलता हाथ लग जाएगी लेकिन कुरैशी को अब बैरंग ही लौटना होगा।