चंडीगढ़ , 20 अक्टूबर ( हि.स.) पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब में दर्शनों के लिए रविवार से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का काम फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान अभी तक इस मामले में अंतिम ड्राफ्ट पर अपनी सहमति नहीं बना सका है। भारत ने इसके लिए बाकायदा प्रपत्र भी जारी कर दिए थे। साथ ही करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं से 20 डालर शुल्क लेने का भी है , जिसका विरोध भारत लगातार कर रहा है। भारत सरकार पाकिस्तान से कोई शुल्क नहीं लेने की बार-बार अपील कर रही है। केंद्र सरकार की तरफ से ऐसे बयान आ रहे हैं कि वे इस प्रयास में हैं कि करतारपुर साहब जाने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई फीस ना देनी पड़े। अगर पाकिस्तान उनकी अपीलों पर सहमत नहीं होता तो भी सरकार इस संदर्भ में कोई न कोई समाधान निकालेगी।
ऐसी जानकारी मिली है कि दोनों देशों के मध्य गलियारा को लेकर अंतिम समझौते पर जो हस्ताक्षर होने थे, वह अभी नहीं हुए क्योंकि पाकिस्तान अभी भी करतारपुर साहब जाने वाले श्रद्धालुओं से 20 डालर का शुल्क लेने की बात पर अडिग है और जब तक दोनों पक्षों के मध्य लिखती रूप से समझौता नहीं होता, तब तक भारत सरकार गलियारा के लिए तैयार की वेबसाइट शुरू नहीं करेगी और आवेदन की तिथि आगे बढ़ेगी।
करीब चार किलोमीटर लंबे करतारपुर गलियारे का कार्य श्री गुरु नानक देव जी के 550वे प्रकाश पर्व यानि जन्मदिवस से एक सप्ताह पूर्व 31 अक्टूबर तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब राज्य के नारोवाल जिला में है जो कि भारत में विधानसभा क्षेत्र डेरा बाबा नानक की सीमा से करीब साढे़ चार किलोमीटर की दूरी पर है। सिख पंथ में इस गुरुद्वारा साहब का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यहां श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी के 18 वर्ष और अपना अंतिम समय यही पर बिताया था। हालांकि अब यह गलियारा खुलने के करीब है, परंतु पाकिस्तान की तरफ से इस पर शुल्क लगाए जाने को भारत भर में इस पर बहस और चर्चा का सिलसिला जारी हो चुका है।
पाकिस्तान को इस गलियारा के शुल्क के रूप में प्रति माह 21 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। दिलचस्प बात यही है कि पाकिस्तान में अन्य सिख धार्मिक स्थानों पर जाने के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को 200 रुपये का शुल्क अदा करना पड़ता है जबकि अकेले करतारपुर साहब के दर्शनों के लिए पाकिस्तान ने 1600 रुपये का शुल्क लगाया है, जिसे लेकर भारत की तरफ से विरोध जारी है। भारत की तरफ से इस गलियारा का उद्घाटन 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा जबकि पाकिस्तान की तरफ से गलियारा का उद्घाटन नौ नवंबर को होना है। नौ नवंबर को ही एक शिष्टमंडल पाकिस्तान जाएगा, जिसमें पंजाब के सभी 117 विधायक , राज्य से ही लोकसभा और राज्यसभा सदस्य , शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य , संत समाज के सदस्य और राज्य की अन्य बड़ी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
नौ नवंबर को पाकिस्तान जाने वाले जत्थे में देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह भी शामिल होंगे, परंतु वह एक सामान्य श्रद्धालुओं की तरह उस जत्थे में शामिल होंगे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के आधिकारिक बयान अनुसार , भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करतारपुर साहब गलियारे के उद्घाटन समारोह में शामिल तो होंगे परंतु एक सामान्य श्रद्धालु की तरह, उन्होंने उनके एक पत्र के जवाब में ऐसा बताया है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि बेशक सामान्य श्रद्धालु की तरह ही पूर्व प्रधानमंत्री पाकिस्तान आएं , परंतु उनका स्वागत किया जाएगा। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान की तरफ से खालिस्तानी लोगों के स्वागत की बातें भी सार्वजनिक तौर पर की जा रही हैं , जिसे लेकर भारत ने अपनी चिंता प्रकट की है।