कर्नाटक संकट : सत्ता की राजनीति में भगवान पर अनुचित ‘दबाव’

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पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और उनके परिवार के सदस्यों ने चिकमगलूर जिले के श्रृंगेरी के प्राचीन और प्रसिद्ध श्री शारदम्बा मंदिर में 13 दिनों तक ‘अतिरुद्र महायज्ञ’ किया। श्रृंगेरी एकमात्र स्थान नहीं है जहां देवेगौड़ा परिवार ने ऐसे धार्मिक संस्कार किए, उडुपी जिले के साथ सटे कुल्लुरू में देवी मूकाम्बिका में भी इसे दोहराया गया। 



बेंगलुरु, 16 जुलाई (हि.स.)। कर्नाटक में व्याप्त सियासी संकट के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का परिवार मंदिरों की शरण ले रहा है। देवेगौड़ा के बड़े पुत्र व राज्य के सार्वजनिक निर्माण मंत्री एचडी रेवन्ना पिछले कई दिनों से नंगे पांव मंदिरों में जाकर प्रार्थना और पूजा-अर्चना कर रहे हैं। इस पूजा के पीछे राज्य की गठबंधन सरकार की सलामती है, जिसके लिए सदन में 18 जुलाई को विश्वास प्रस्ताव रखा जाएगा।
कर्नाटक में सत्ता प्राप्ति के लिए मंदिरो और मठों के चक्कर लगाना कोई नया चलन नहीं है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों से पहले, उसके दौरान और परिणामों की घोषणा से पहले अनेक राजनेताओं ने राज्य के भीतर और पड़ोसी राज्यों के प्रमुख तीर्थस्थलों पर हाजिरी देनी शुरू कर दी थी। इसके बावजूद किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। विधानसभा चुनावों के दौरान प्रचार माध्यमों में एक नए शब्द ‘टेम्पल-रन’ का चलन तेजी से हुआ। अब सरकार पर संकट के दौरान यह शब्द दोबारा सुनाई पड़ रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और उनके परिवार के सदस्यों ने चिकमगलूर जिले के श्रृंगेरी के प्राचीन और प्रसिद्ध श्री शारदम्बा मंदिर में 13 दिनों तक ‘अतिरुद्र महायज्ञ’ किया। श्रृंगेरी एकमात्र स्थान नहीं है जहां देवेगौड़ा परिवार ने ऐसे धार्मिक संस्कार किए, उडुपी जिले के साथ सटे कुल्लुरू में देवी मूकाम्बिका में भी इसे दोहराया गया।
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने भी चुनावों के दौरा अलग-अलग मंदिरों में अपने-अपने तरीके से दर्शन-पूजन किया था। पर माना गया कि देवेगौड़ा परिवार के ‘कुल समर्पण’ से भगवान प्रसन्न हुए। अब वही भगवान नाराज दिखाई दे रहे हैं।

 


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