नई दिल्ली, 26 सितम्बर (हि.स.)। कर्नाटक के अयोग्य ठहराये गए विधायकों को बड़ी राहत मिली है। राज्य की 15 सीटों पर 21 अक्टूबर को होने वाला उपचुनाव टल गया है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव होगा। इस मामले पर अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।
विधायकों का कहना है कि स्पीकर ने दुर्भावना से विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य ठहरा दिया, जिसकी वजह से वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। गुरुवार को सुनवाई के दौरान निर्वाचन ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात पर सहमति जताई कि वो 15 सीटों पर होने वाला उपचुनाव टाल देगा। गत 25 सितम्बर को कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया जाए। तुषार मेहता ने कहा था कि हम किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं बल्कि हम मांग करते हैं कि अयोग्यता के मामले के निपटारे के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया जाए।
सुनवाई के दौरान अयोग्य करार दिए गए विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि विधायक जनता के बीच जाने से हिचक नहीं रहे हैं। लोगों को इन विधायकों के व्यवहार के बारे में फैसला लेने दीजिए। अयोग्य करार दिए गए विधायकों ने निर्वाचन आयोग के उप-चुनाव कराने के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की।
23 सितम्बर को कोर्ट ने इन विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए विधानसभा स्पीकर, जेडीएस और कांग्रेस दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को नोटिस जारी किया था। स्पीकर ने विधायकों के इस्तीफे अस्वीकार करते हुए उन्हें विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य करार दिया था।
सुनवाई के दौरान अयोग्य विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने मांग की थी कि इस मामले में इस याचिका के निपटारे तक चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम आदेश दिया जाए ताकि उनकी याचिका लोकसभा उपचुनाव के बाद औचित्यहीन न हो जाए।सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग का कहना था कि कर्नाटक के बागी विधायकों को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता है । अयोग्यता वर्तमान विधानसभा के पूरे कार्यकाल तक के लिए नहीं हो सकती है।