नई दिल्ली, 07 अप्रैल (हि.स.) । केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसके दखल के बाद केरल और कर्नाटक के बीच मरीजों और ज़रूरी सामान को लाने-ले जाने पर सहमति बनी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला बंद कर दिया। पहले केरल के कुछ इलाकों से सटी सीमा को कर्नाटक खोलने के लिए तैयार नहीं था।
पिछले 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में केरल सरकार ने कर्नाटक की ओर से केरल से लगी सीमा को बंद करने के फैसले को संविधान का उल्लंघन बताया था। केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि कर्नाटक सरकार का फैसला संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन है।
केरल सरकार ने कहा था कि कर्नाटक सरकार के फैसले से न केवल रोगियों का नुकसान हो रहा है बल्कि इससे सड़क मार्ग के जरूरी सामानों की आवाजाही पर भी असर पड़ रहा है। केरल सरकार ने कहा था कि सीमा पर एंबुलेंस और रोगियों को ले जाने वाले वाहनों का निर्बाध आवागमन जरूरी है। केरल कई जरूरी चीजों के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। कर्नाटक से केरल के कासरगोड में रोड के जरिये कई जरूरी सामानों की आपूर्ति की जाती है।
पिछले 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया था कि वो केरल और कर्नाटक के मुख्य सचिवों के साथ बैठक कर केरल के कासरगोड से कर्नाटक के मंगलुरु में आपात चिकित्सा सेवाएं देने के लिए कर्नाटक की सीमा खोलने के सर्वमान्य हल तलाशें। कोर्ट ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि इस मामले में जल्द फैसला करें।
दरअसल कर्नाटक सरकार ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें कर्नाटक की सीमा को मेंगलुरु में चिकित्सा के लिए जानेवाले रोगियों के लिए खोलने का आदेश दिया गया था।
कासरगोड के कांग्रेस सांसद राजमोहन उन्नीथन ने भी याचिका दायर कर कहा था कि कासरगोड जिले की सीमा कर्नाटक से सटी हुई है। राजमोहन की ओर से वकील हरीस बीरान और पल्लवी प्रताप ने याचिका दायर कर कहा था कि 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद कर्नाटक सरकार ने राज्य की सीमा बंद कर दिया है। सीमा को बंद करने से केरल में जरूरी सामानों की आपूर्ति पर असर पड़ा है।
याचिका में कहा गया था कि कासरगोड जिले के लोग चिकित्सा सुविधा के लिए मंगलुरु जिले पर निर्भर रहते हैं। लेकिन कर्नाटक की सीमा बंद करने से कासरगोड जिले के लोगों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। याचिका में कहा गया था कि कर्नाटक की सीमा को बंद करना केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश का उल्लंघन है जिसमें सभी राज्यों को निर्देशित किया गया है कि जरूरी सामानों की निर्बाध आवाजाही हो। याचिका में कहा गया था कि कर्नाटक सरकार ने अंतर्राज्यीय सड़कों पर मिट्टी के बांध खड़े कर दिए हैं।