दिल्ली हिंसा: आईबी अधिकारी की हत्या के दो आरोपितों की जमानत याचिका खारिज
नई दिल्ली, 29 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के दो आरोपितों फिरोज और जावेद की जमानत याचिका खारिज कर दी है। एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि इस मामले के मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन के उकसावे के बाद दूसरे समुदाय पर हमला किया गया जिसमें आईबी अधिकारी अंकित शर्मा ने अपनी जान गंवाई ।
कोर्ट ने कहा कि साक्ष्यों और कई गवाहों के बयानों से ये साफ है कि दंगाईयों की भीड़ घातक हथियारों से लैस थी और उसने तोड़फोड़, लूट , आगजनी की जिससे सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को काफी नुकसान हुआ। कोर्ट ने कहा कि इस हिंसा में दूसरे समुदाय को अधिकतम नुकसान के लक्ष्य के साथ अंजाम दिया गया। कोर्ट ने कहा कि दोनों आरोपी आगजनी, लूटपाट और तोड़फोड़ को अंजाम देने वाली भीड़ में शामिल थे। इस घटना में अंकित शर्मा ने अपनी जान गंवाई और अजय, अजय झा और प्रिंस बंसल घायल हुए।
सुनवाई के दौरान दोनों आरोपितों की ओऱ से वकील नासिर अली और अब्दुल गफ्फार ने कहा कि दोनों को 7 मार्च को खजूरी खास के एक एफआईआर में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद इस मामले में भी झूठे तरीके से फंसा दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी गवाह ने अपने बयान में ये नहीं कहा है कि दोनों आरोपी अंकित शर्मा की हत्या में शामिल थे। उन्होंने कहा कि अभियोजन के गवाह ज्ञानेंद्र कोचर और विकल्प कोचर ने अंकित शर्मा की हत्या के मामले की विस्तृत जानकारी दी है लेकिन उनके बयान में कहीं भी दोनों आरोपितों के नामों का जिक्र नहीं है। गवाह प्रदीप वर्मा ने भी मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने बयान में दोनों आरपियों के नामों का जिक्र नहीं किया है। दो कांस्टेबलों की ओर से आऱोपियों की झूठी पहचान की गई है क्योंकि डेढ़ हजार लोगों के बीच किसी एक व्यक्ति को पहचानना काफी मुश्किल काम है।
आरोपितों की ओर से कहा गया कि जो वीडियो क्लिप दिखाया गया है वो प्रमाणिक नहीं है क्योंकि दोनों आरोपी उसी इलाके में रहते हैं। घटना वाले दिन 25 फरवरी को दोनों आरोपी अपने घर पर थे। इस मामले में जांच पूरी कर ली गई है और दोनों आरोपितों की हिरासत में पूछताछ की कोई जरुरत नहीं है। आरोपितों के वकील ने कहा कि दोनों का इतिहास साफ-सुथरा रहा है और वे अपने परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य हैं।
दोनों आरोपितों की जमानत का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि दोनों आरोपी अंकित शर्मा की हत्या के मामले से जुड़े हुए हैं। 26 फरवरी को अंकित शर्मा के पिता रविंद्र कुमार दयालपुर थाने आए और कहा कि उनका बेटा 25 फरवरी को अपने दफ्तर से लौटकर शाम को कुछ सामान खरीदने गया था। जब अंकित शर्मा बहुत देर तक नहीं आए तो उनके पिता ने कई जगह खोजा और अस्पतालों में भी गए। रात तक इंतजार करने के बाद उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई। उसके बाद उन्हें कुछ लड़कों ने बताया कि एक लड़के को मारकर खजूरी खास नाले में फेंक दिया गया है। उसी नाले से अंकित शर्मा का शव निकाला गया।
जांच के दौरान पुलिस ने अंकित शर्मा के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया कि उनके शरीर पर 51 धारदार और भोथरे हथियारों से वार किए गए थे। उसके बाद इस केस की जांच 28 फरवरी को क्राइम ब्रांच की एसआईटी को सौंप दी गई। आगे की जांच में मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन के घर औऱ उसके आसपास के इलाकों में मलबा, पत्थर, ईंट, टूटी बोतलें , बुलेट और कुछ जली हुई चीजें मिलीं। ताहिर हुसैन के मकान का इस्तेमाल दंगाईयों ने ईंट औऱ पत्थरबाजी करने के लिए किया था। ताहिर हुसैन के घर के तीसरे मंजिल की छत पर गुलेल, पत्थर, पेट्रोल की बोतलें मिली थीं।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया। उसके बाद 13 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी में हिंसा हुई। 15 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी और अन्य स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें 29 बसों को नुकसान पहुंचाया गया। उसके बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई स्थानों पर धरने दिए गए। उन्होंने कहा कि धरना अचानक नहीं हुआ बल्कि इसके लिए एक सुनियोजित साजिश रची गई।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये दंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने से समय जानबूझकर करवाए गए ताकि पुलिस उस समय व्यस्त रहेगी। ये एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा कि दंगों की शुरुआत 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास हुआ जहां सबसे पहले हिंसा को अंजाम दिया गया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने विकल्प कोचर, ज्ञानेंद्र कोचर, हेड कांस्टेबल राहुल, कांस्टेबल प्रवीण, दीपक प्रधान, सुरेंद्रपाल सिंह सेंगर, आकाश, भारत ऊर्फ काला, प्रदीप वर्मा, गिरीश यदुवंशी, प्रियंका गौर, ऋषभ शर्मा, फूलचंद इत्यादि के बयान दर्ज किए थे। इन सभी गवाहों ने ताहिर हुसैन की पहचान की थी।