करीमा बलोच को मिल रही थी धमकियां, दोस्तों का खुलासा

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टोरंटो, 24 दिसम्बर (हि.स.)। बलोच छात्र संगठन की पूर्व अध्यक्ष बनुक करीमा बलोच के दोस्तों और सहकर्मियों ने खुलासा किया है कि उन्हें लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही थी।

करीमा मंगलवार को कनाडा में मृत पाई गई थी। पाकिस्तान में लोगों के साथ हो रहे अत्याचार और मानवाधिकारों हनन के खिलाफ करीमा (37) लगातार आवाज उठाती रही थी। करीमा साल 2016 में कनाडा गई थी और मानवाधिकार हनन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्होंने कई अभियान  भी चलाए।

टोरंटो सन की रिपोर्ट के अनुसार करीमा के दोस्त लतीफ जौहर बलोच ने बताया कि करीमा को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। उन्हें धमकी भरे संदेश भी दिए जा रहे थे जिनमें कहा जा रहा था कि हमें पता है कि तुम कहां रहती हो। लतीफ जौहर ने बताया कि हम इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं और स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि यह एक दुर्घटना थी। लतीफ ने बताया कि  करीमा के पति ने उन्हें बताया है कि वह करीमा को क्रिसमस पर ऐसा तोहफा देंगे जिसे वह कभी भूल नहीं सकेगी।

इससे पहले कि पुलिस अपनी आंतरिक जांच में कोई खुलासा करती, करीमा के दोस्त और सहकर्मियों ने यह खुलासा किया है। पुलिस की ओर से कहा गया है कि हालातों का पता लगा लिया गया है और अधिकारियों ने इसे गैर- आपराधिक मामला करार दिया है।

लतीफ के अलावा एक अन्य कार्यकर्ता हकीम बलोच ने भी करीमा की रहस्यमयी मौत का पता लगाने में गहन जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि करीमा को उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार जान से मारने की धमकियां दी जा रही थी।

हकीम बलोच नेशनल मूवमेंट (यूके) जोन के अध्यक्ष हैं, साथ ही उनके बहुत करीबी मित्र भी हैं। उन्होंने कहा कि करीमा बहादुर युवती थी और वह आत्महत्या नहीं कर सकती है। उन्हें सोशल मीडिया पर लगातार धमकियां दी जा रही थी, धमकी भरे संदेश दिए जा रहे थे। वो कुछ ऐसा है जो बलोच राष्ट्र के दुश्मन की मानसिकता का पर्याय है।

करीमा के परिवार और करीबी दोस्तों की ओर से दिए गए बयान में कहा गया है कि वह ऐसा मान ही नहीं सकते कि वह किसी दुर्घटना से पीड़ित हो जाएंगी या यह आत्महत्या की घटना है क्योंकि वह बहादुर लड़की थी। वह सैकड़ों-हजारों लोगों के लिए उम्मीद थी। वह लाखों बलोचियों की नेतृत्व कर रही थी। वह बलोच की महिलाओं की प्रेरणा थी।

करीमा कई युवा और शिक्षित बलोच कार्यकर्ताओं में से एक थी जो यूरोप, कनाडा और अमेरिका में प्रवासी के तौर पर रह रही थी। पश्चिमी क्षेत्र में इनकी जान को भी खतरा रहता है और इस्लामाबाद में इन्हें बलूचिस्तान के मुद्दे को उठाने के लिए धोखेबाज कहा जाता है।

 


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