एलिम्को के साथ कानपुर आईआईटी ने तैयार की हर्बल सेनिटाइजिंग टनल

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टनल से गुजरने वाले इंसान के बाहरी भाग का नष्ट हो जाएगा कोरोना संक्रमण 



कानपुर, 14 मई (हि.स.)। कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया सहित भारत भी परेशान है और इससे निपटने के लिए कानपुर आईआईटी बराबर उपकरणों का निर्माण कर रहा है। इसी क्रम में अब आईआईटी ने एलिम्को के साथ एक ऐसा विश्व स्तरीय सेनिटाइजिंग टनल तैयार की है, जिसमें से गुजरने वाले इंसान के बाहरी भाग का कोरोना संक्रमण पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। इस टनल की सबसे बड़ी खूबी है कि यह हर्बल सेनिटाइजिंग टनल है और किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं हैं। जल्द ही इस सेनिटाइजिंग टनल को सरकार से अनुमति मिलने के बाद लांच कर दिया जाएगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर देश के प्रमुख संस्थानों के साथ कोविड-19 से लड़ने के लिए बराबर उपकरणों का निर्माण कर रहा है। संस्थान कोविड-19 से लड़ने के लिए विकासशील तकनीकों में शुरुआती बढ़त हासिल की और पिछले दो महीनों में यहां के शोधकर्ताओं ने पीपीई किट, वेंटीलेटर, पुनः प्रयोज्य एन 95 मास्क, ऑक्सीजन कंसंटेटर और बहुत कुछ विकसित किया है। इसी कड़ी में सेनिटाइजिंग टनल यानी कीटाणुशोधन कक्ष को भी तैयार किया है। इस टनल को तैयार करने में भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण विभाग (एलिम्को) का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह हर्बल सेनेटाइजिंग टनल दिव्यांगों को उनके व्हीलचेयर के साथ सेनेटाइज करने में मददगार होगा।
माना जा रहा है कि इससे गुजरने के बाद वायरस से इंसान पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। हर्बल टनल को आईआईटी के टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो. अविनाश अग्रवाल और एलिम्को के जीएम मार्केटिंग पीके दुबे के निर्देशन में तैयार किया गया है। सैनिटाइजिंग टनल पूरी तरह से पारदर्शी बनाया गया है। इसमें जगह-जगह सेंसर लगे हैं। हरी और लाल रंग की लाइटें भी लगाई गई हैं। उन्होंने बताया कि इसमें आयोनाइज्ड स्प्रे, गर्म हवा, यूवी रेडियशन थैरेपी भी दे रहे हैं। जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा, उस दौरान बस, रेलवे स्टेशन, मॉल समेत भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने वाले लोगों के कपड़ों और हाथ-पैरों में अगर संक्रमण हो जाए, तो यह उसे नष्ट करने में सहायक होगा। मगर, किसी के शरीर में अगर वह प्रवेश कर जाए तो यह उसे नष्ट नहीं कर पाएगा।
विश्व स्तरीय होगा सेनिटाइजिंग टनल
कोरोना वायरस से जंग में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर और भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसकी ख्याति बहुत जल्द देश दुनिया तक फैलने वाली है। देश में सैनिटाइज टनल के लिए साइड इफेक्ट को लेकर उठ रहे कई सवालों पर अब विराम लगने वाला है। शहर के दोनों संस्थानों के विशेषज्ञों ने मिलकर हर्बल सैनिटाइजिंग टनल तैयार की है, माना जा रहा है कि इसमें केमिकल का साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं होगा और इससे गुजरने के बाद वायरस और बैक्टरिया रहित होने के साथ इंसान पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
 
50 से 60 हजार रुपये है अनुमानित कीमत
आईआईटी कानपुर और एलिम्को ने हर्बल सैनिटाइजिंग टनल बनाया है। इसमें डिसइनफेक्टेंट स्प्रे, गर्म हवा, अल्ट्रावायलेट लाइटें और अन्य सुविधाएं हैं। यह टनल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, माइक्रोप्रोसेसर यूनिट पर आधारित है। इससे गुजरते ही टनल में लगे सेंसर सक्रिय हो जाएंगे। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अन्य जांच एजेंसियों से प्रमाणित भी हो चुका है। एक टनल की अनुमानित कीमत 50 से 60 हजार रुपये आंकी गई है।
रसायन के साथ हर्बल स्प्रे का भी होगा छिड़काव
हर्बल टनल को आईआईटी के टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल और एलिम्को के जीएम मार्केटिंग कर्नल पीके दुबे के निर्देशन में तैयार किया गया है। कर्नल पीके दुबे ने बताया कि टनल में सबसे पहले डिसइनफेक्टेंट स्प्रे लगा है। इसमें दो ऑप्शन हैं। एक में केमिकल और दूसरे में हर्बल सैनिटाइजिंग सिस्टम लगा है। केमिकल में सोडियम हाइपोक्लोराइड का 0.5 कनसंट्रेशन रहेगा। वहीं हर्बल स्प्रे पतंजलि के विशेषज्ञों की राय पर बनाया गया है। इसमें नीम की पत्ती का रस, फिटकरी, कपूर आदि का मिश्रण है। स्प्रे के आगे अल्ट्रावायलेट स्प्रे और सबसे आखिर में गर्म हवा का सिस्टम लगाया गया है। सैनिटाइजिंग टनल पूरी तरह से पारदर्शी बनाई गई है। इसमें जगह-जगह सेंसर लगे हैं। हरी और लाल रंग की लाइटें भी लगाई गई हैं। प्रो. अग्रवाल के मुताबिक अल्ट्रावायलेट लाइटें दिल्ली से मंगवाई गई हैं। टनल का पूरा अलग सिस्टम बनाया जा रहा है।
टेक्नो एडवांस्ड डिसिन्फेक्टेंट टनल में हैं दो चेंबर
कोविड-19 संकट से निपटने के लिए, टेक्नोपार्क/आईआईटी और एलिम्को ने संयुक्त रूप से कोविड-19 वायरस की बाहरी सतहों और सार्वजनिक स्थानों कीटाणुरहित करने के लिए टेक्नो एडवांस्ड डिसिन्फेक्टेंट टनल विकसित किया है। अल्ट्रासोनिक सेंसरों से सुसज्जित पूरी तरह से स्वचालित सुरंग में तीन कीटाणुशोधन प्रक्रियाओं के साथ दो कक्ष हैं जो वायरस को बेअसर करने में मौजूद अन्य समाधानों की तुलना में अधिक कुशल हैं। चैंबर एक में व्यक्ति पर एक निस्संक्रामक के द्रव्य के साथ छिड़का जाता है जो या तो अनुमोदित रासायनिक या एक आयुर्वेदिक/हर्बल कीटाणुनाशक का पतला घोल हो सकता है। चैंबर दो में व्यक्ति को 70 डिग्री सेल्सियस पर गर्म हवा के साथ पराबैंगनी सी (यीवीसी) किरणों (207-222 एनएम) के संपर्क में लाया जाता है। बताया गया कि प्रस्तावित सुरंग को क्रमशः मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दायरे में उद्योग-अकादमिक सहयोग के तहत विकसित किया गया है।
 
मानक में नहीं है बाजार में उपलब्ध टनल 
आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते हुयी सम्पूर्ण तालाबंदी हटने के बाद लाखों लोग सार्वजनिक स्थानों पर जाने लगेंगे। कार्यालयों, हवाई अड्डों, बस और ट्रेन स्टेशनों, शॉपिंग मॉल, मंदिरों और अन्य प्रतिष्ठानों का दौरा लोगों द्वारा किया जाएगा। वायरस संभावित रूप से लोगों के कपड़ों, बैग और अन्य वस्तुओं पर आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाता है। हैंड सैनिटाइज़र और फेस मास्क चेहरे और हाथ की रक्षा कर सकते हैं, लेकिन दूसरे व्यक्ति के कपड़े/जूते सहित अन्य वस्तुओं से वायरस के संचरण की रक्षा नहीं कर सकते हैं। ऐसे में सेनिटाइजिंग टनल की आवश्वकता पड़ी और कई छोटी कंपनियों ने भारत में कोविड-19 संकट के शुरुआती दिनों में उत्साह के साथ स्वच्छता सुरंगों का विकास किया है, लेकिन उनमें से कोई भी उचित अनुसंधान द्वारा समर्थित नहीं था और उन्होंने बुनियादी सुरक्षा मानदंडों का पालन नहीं किया। आईआईटी ने जो टनल तैयार की है वह पूरी तरह से सुरक्षा के मानकों पर खरा उतर रही है और कई प्रमुख संस्थानों से प्रमाणित हो चुकी है।
 
निदेशक ने कहा 
आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि “जैसे ही दुनिया को इस महामारी से होने वाले खतरे के बारे में पता चला, आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने लगातार उन समस्याओं के समाधान खोजने के लिए खुद को तैयार किया और भारत को प्रकोप से निपटने में सामना करने के लिए अधिक मजबूत होने में अपने योगदान दिया। संस्थान ने कोविड -19 से लड़ने के लिए विकासशील तकनीकों में शुरुआती बढ़त हासिल की और पिछले दो महीनों में, हमारे शोधकर्ताओं और आई.आई.टी. कानपुर में शुरू किए गए स्टार्टअप ने मिलकर पीपीई किट, वेंटीलेटर, पुनः प्रयोज्य एन 95 मास्क, ऑक्सीजन कंसंटेटर और बहुत कुछ विकसित किया है। इसी कड़ी में यह कीटाणुशोधन कक्ष प्रदर्शनों की सूची के अलावा एक और महत्वपूर्ण प्रयास है। आईआईटी कानपुर इनक्यूबेटर के सीईओ डॉ. निखिल अग्रवाल ने कहा कि आईआईटी कानपुर अब कोविड-19 से लड़ने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए भारत का अग्रणी केंद्र है। क्यूप्रोहेल्थटेक निस्संक्रामक चैंबर लॉन्च कर रहा है जो पूरे नए तरीके से बाजार को परिभाषित करेगा। हम सर्वश्रेष्ठ संभव समर्थन सुनिश्चित करने के लिए टीम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
पश्चिमी तकनीक से बेहतर है हमारी तकनीक
हैदराबाद के प्रमुख डॉक्टरों में से एक क्यूप्रोहेल्थटेक के संस्थापक डॉ. मधु वासेपल्ली ने कहा कि हमारी तकनीक किसी भी पश्चिमी तकनीक से बेहतर होगी। हम भारत में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से माननीय पीएम के सपने को पूरा करना चाहते हैं। सीडीआर जैन ने कहा कि हम किसी भी सार्वजनिक परिसर में आने वाले व्यक्तियों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं। हमारी स्मार्ट मशीनें न केवल व्यक्ति को पूरी तरह से कीटाणुरहित करेंगी बल्कि स्पर्शोन्मुख रोगियों के मामले में डेटा का पता लगाने में भी सक्षम होंगी। तकनीकी विवरण का खुलासा करने पर सीडीआर सुचिन जैन ने इस्तेमाल की गई तकनीक का खुलासा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि लॉन्च के समय अधिक तकनीकी जानकारी साझा की जाएगी।

 


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