निर्वासित तिब्बत सरकार ने मनाई तिब्बती लोकतंत्र दिवस की 61वीं वर्षगांठ
धर्मशाला, 02 सितम्बर (हि.स.)। निर्वासित तिब्बत सरकार ने वीरवार को मैकलोड़गंज स्थित मुख्यालय में तिब्बती लोकतंत्र दिवस की 61वीं वर्षगांठ मनाई। तिब्बती राष्ट्रगान के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में तिब्बती प्रदर्शन कला संस्थान (टीआईपीए) के कलाकारों द्वारा तिब्बती लोकतंत्र गीत भी प्रस्तुत किया। इस अवसर पर धर्मगुरू दलाई लामा द्वारा तिब्बती लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के महत्व पर 31 अगस्त 2010 को पहली तिब्बती आम बैठक में दिए गए भाषण को भी समारोह में दिखाया गया।
समारोह में निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने धर्मगुरू दलाई लामा के दूरदर्शी नेतृत्व में तिब्बती लोकतंत्र के विकास के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि निर्वासन के शुरुआती दिनों से तिब्बती लोकतंत्र एक लंबा सफर तय कर चुका है। तिब्बती प्रशासन का भरण-पोषण तिब्बती लोकतंत्र की ताकत पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि तीन फरवरी 1960 को निर्वासन में आने के बमुश्किल दस महीने बाद, निर्वासन में तिब्बतियों के प्रतिनिधि पहली बार भारत की पवित्र भूमि बोधगया में एकत्र हुए जहां दलाई लामा के मार्गदर्शन में सभी ने एकता की शपथ ली।
सिक्योंग ने चीनी सरकार द्वारा अपने राजनीतिक लक्ष्यों के लिए वर्तमान स्थिति का दुरुपयोग करने के बारे में भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चीन तिब्बत के अंदर झूठ फैलाने, निर्वासित तिब्बती समुदाय में विभाजन पैदा करने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसका दुरुपयोग करने के लिए कोई मौका नही छोड़ रहा है। चीन के इस रवैये ने सरकारों, संसदों और तिब्बत समर्थकों के बीच बड़ी चिंता और आशंका पैदा कर दी है जो वास्तव में हमारा समर्थन करते हैं।