चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र, 21 जून (हि.स.)। 21वीं सदी के इतिहास में पहली बार खगोलिया घटना घटी, जिसमें सूर्य ग्रहण कंगनाकार दिखाई दिया। ग्रहण का केंद्र धर्मनगरी कुरुक्षेत्र रही। यही नहीं कुरुक्षेत्र सहित हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में 30 स्थानों पर कंगनाकार ग्रहण का दृश्य नजर आया। इसके बाद यह विहंगम दृश्य दो सदी के बाद दिखाई देगा।
रविवार को 10 बजकर 20 मिनट 35 सेकेंड पर सूर्यग्रहण की शुरूआत हुई। सूर्यग्रहण की अवधि 3 घंटे 26 मिनट 21 सेकेंड रही। 12 बजकर 1 मिनट 28 सेकेंड से 55 सेकेंड तक सूर्य को चंद्रमा ने 27 सेकेंड के लिए 98.95 फीसद ढक लिया और सूर्य की कंगनाकार आकृति बनी। सूर्य ग्रहण के इस विहंगम दृश्य का इसरो की ओर से लाइव प्रसारण किया गया। कुरुक्षेत्र के गांव भौर सैंयदा में इसरो की ओर से लाइव टेलीस्कोप लगाया गया था, जहां पर सूर्य ग्रहण का मुख्य केंद्र था। इसके साथ ही इसरो की ओर से ब्रह्मसरोवर के तट पर भी लाइव टेलीस्कोप लगाए गए थे, जहां पर सूर्य ग्रहण का लाइव प्रसारण लोगों ने देखा।
सूर्य के कंगनाकार आकृति बनने की शुरुआत राजस्थान के घरसाना से शुरू हुई। राजस्थान से होते हुए हरियाणा में 12 जगह पर कंगनाकार आकृति को लोगों ने देखा। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में एक जगह बेहट में ही रिंग ऑफ फायर यानि वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई दिया। उत्तरखंड में 12 और राजस्थान में 5 जगहों पर सूर्यग्रहण का वलयाकार दृश्य नजर आया। उत्तराखंड के जोशीमठ में 24 सेकेंड के लिए वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई दिया।
हरियाणा में इन स्थानों पर दिखा वलयाकार सूर्य ग्रहण
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के महानिदेशक प्रवीण कुमार ने बताया कि हरियाणा में वलयाकार दृश्य दिखने की शुरूआत राजस्थान के बार्डर से सटे अमलोहा से हुई। यहां पर 12 बजकर 2 मिनट से 16 सेकेंड से लेकर 49 सेकेंड तक वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई दिया। इसके साथ ही ऐलनाबाद, सिरसा, रतिया, जाखल, यमुनानगर, जगाधरी, तलवाना खुर्द में यह दृश्य दिखाई दिया। कुरुक्षेत्र में चार स्थानों पर यह आकृति लोगों ने देखी। इनमें पिहोवा के भौर सैंयदा, गुमथला गढू, लाडवा व ब्रह्मसरोवर शामिल हैं।