‘कंगना’ अभिनय के शिखर तक पहाड़ी की ढलान से

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नई दिल्ली, 23 मार्च (हि.स.)। पहाड़ी की ढलान से उतर कर अभिनय के शिखर पर आना कोई साधारण बात नहीं थी। कंगना रनौत ने बार-बार यह कर दिखाया है। पहले भी वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी हैं, लेकिन इस बार का पुरस्कार यकीनन उन्हें विशेष सुकून दे रहा होगा।

अभिनेत्री कंगना रनौत फिर सुर्खियों में  हैं। शायद ऐसी सुर्खियों का उन्हें भी इंतजार रहा होगा। जब फिल्म ‘मणिकर्णिका’ रिलीज हुई थी तो उसकी काफी चर्चा थी। फिल्म समीक्षकों ने बताया कि रानी झांसी के साहस और शौर्य को सुंदर ढंग से पर्दे पर उतारा गया है। फिल्म में कंगना का अभिनय सराहनीय है। कुल मिलाकर फिल्म काफी अच्छी बनी है।

यह बात अपने आप में दिलचस्प है कि कंगना रनौत के अभिनय की चर्चा उतनी नहीं होती है, जितनी कि उनके बयानों की। कंगना हिन्दी सिनेमा की उन अभिनेत्रियों में शुमार हैं, जो अपनी फिल्मों के साथ-साथ अपने बेबाक बयानों के लिए भी चर्चा में रहती हैं। निजी जीवन से लेकर सार्वजनिक मुद्दों पर वे स्पष्ट विचार रखती हैं। वे विचारों में स्वयं को बंद नहीं रखती हैं, बल्कि उसे अभिव्यक्त करती हैं।

असाधारण परिस्थिति में कंगना रनौत ने बतौर अभिनेत्री स्वयं को स्थापित किया है। साल 2014 में जब फिल्म ‘क्वीन’ रिलीज हुई तो उन्हें बॉलीवुड की क्वीन कहा जाने लगा। हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में पारंपरिक परिवार में जन्मी कंगना को उनके माता-पिता डॉक्टर बनाना चाहते थे। चंडीगढ़ के डीएवी स्कूल में उनकी पढ़ाई हुई। फिर दिल्ली आ गईं। वहीं थियेटर ग्रुप से जुड़ गईं।

अपने संघर्ष के दौरान वो महेश भट्ट के संपर्क में आईं। उनके ही संपर्क से रोमांटिक थ्रिलर फिल्‍म ‘गैंगेस्‍टर’ में लीड रोल मिला। फिर क्या था- उन्‍होंने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। इस फिल्‍म में उनके अभिनय को काफी सराहा गया। उन्हें इस फिल्‍म के लिये साल का बेस्‍ट फीमेल डेब्‍यू अवार्ड भी मिला। इसके बाद कंगना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’  फिल्म से उन्होंने अभिनय का लोहा मनवाया।

लीक पर चलना कंगना को पसंद नहीं रहा है। उन्होंने हमेशा चुनौतियों को स्वीकार किया और उसपर जीत हासिल की है। फिल्मों को लेकर उनका चयन दिलचस्प है। नए-नए विषय चुनती हैं और उसके किरदार में स्वयं को ढाल देती हैं। यह असाधारण हुनर है, जो फिल्म दर फिल्म कंगान रनौत में दिखाई देता है। उनकी फिल्म ‘पंगा’ को आखिर कौन भूल सकता है!

यह साधारण बात नहीं है कि वो अबतक चार बार अलग-अलग कटेगरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी हैं। फिल्म मणिकर्णिका के लिए उनके नाम की घोषणा हुई तो उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया। ज्यूरी के प्रति आभार प्रकट किया और उन्होंने अपनी टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह पुरस्कार आप सभी के लिए है।

कंगना जब 22 साल की थीं तो उन्हें पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। फिल्म ‘फैशन’ में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया था। कंगना को पढ़ने-लिखने का भी खूब शौक है। वो कविताएं भी लिखा करती हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क में पटकथा लेखन पाठ्यक्रम में दाखिला भी लिया था, लेकिन उन्हें यह कोर्स बीच में छोड़कर भारत लौटना पड़ा, क्योंकि उन दिनों फिल्म ‘क्वीन’ का प्रमोशन करना था। भारत लौटने के बाद कंगना ने कई दमदार फिल्में की। साल 2015 में आई ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।

अभी तक कंगना रनौत के अभिनय पर गंभीर लेखन नहीं हुआ है। हल्के बयानों पर ही चटकारा लिया जाता रहा है। लेकिन, इस बात को समझना जरूरी है कि कंगना का अभिनय वक्त और पीढ़ी की पंसद है या फिर सचमुच वे अभिनय को नई ऊंचाई दे रही हैं!

 


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