योगीराज में धड़ाम हुआ वाहनों का ‘कमेला’ सोतीगंज

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मेरठ, 02 नवम्बर (हि.स.)। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में ऐसा कार्य हो गया, जो आज तक कोई नहीं कर पाया। पूरे उत्तर भारत में वाहनों के कमेले के रूप में कुख्यात मेरठ के सोतीगंज पर ताला लग चुका है। पुलिस की जबरदस्त कार्रवाई से चोरी के वाहनों को काटकर अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले शातिर कबाड़ी मारे-मारे फिर रहे हैं। कई कबाड़ियों की करोड़ों की संपत्ति कुर्क हो चुकी है।

एक समय दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत पूरे उत्तर भारत से चोरी हुए वाहनों की खोज मेरठ के सोतीगंज में की जाती थी। चोरी के वाहन सोतीगंज में आते ही मिनटों में टुकड़ों में बदल जाते थे। सटीक सूचना मिलने के बाद भी दूसरे राज्यों की पुलिस भी उन वाहनों को सोतीगंज में नहीं खोज पाती थी।

जीपीएस भी सोतीगंज में आकर हो जाता था फेल

सोतीगंज के कबाड़ी बहुत ही शातिर थे। जीपीएस लगे वाहनों के चोरी होने पर भी मेरठ में उनका कुछ पता नहीं चल पाता था। एक बार केंद्रीय गृह मंत्रालय की जीपीएस लगी गाड़ी भी सोतीगंज में आकर कट गया। दिल्ली पुलिस भी उसका कुछ पता नहीं लगा सकी। उस समय की सत्ता के संरक्षण में शातिर कबाड़ी पनपते रहे। गाड़ी के कटने के मिनटों में ही उसके पार्ट्स बिकने के लिए दूसरी दुकानों पर चले गए।

आए दिन पुलिस पर होते थे हमले

चोरी के वाहनों को खोजते-खोजते दूसरे राज्यों की पुलिस आए दिन सोतीगंज में छापे मारती थी। वाहन काटने के अवैध धंधे में लिप्त लोगों के हौसले इतने बुलंद थे कि वे पुलिस पर आए दिन हमला करते थे। कई बार तो स्थानीय पुलिस के हस्तक्षेप से दूसरे राज्यों की पुलिस बच पाई थी।

योगीराज में गूंजा सोतीगंज का मामला

प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही सोतीगंज पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। सांसद राजेंद्र अग्रवाल समेत मेरठ के सभी जनप्रतिनिधियों ने सोतीगंज के वाहन माफिया पर कार्रवाई की मांग उठाई। इसके बाद योगीराज में सोतीगंज पर पुलिसिया कार्रवाई का ऐसा चाबुक चला कि आज अवैध वाहनों का काटने का साम्राज्य टूटकर बिखर चुका है और कबाड़ी पुलिस से बचने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। उनकी करोड़ों की संपत्ति जब्त होकर सरकारी संरक्षण में जा रही है।

स्थानीय पुलिस का रहता था संरक्षण

इस अवैध धंधे से जुड़े कबाड़ी इतने शातिर थे कि स्थानीय पुलिस भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती थी। बताया जाता है कि स्थानीय पुलिस के संरक्षण में सोतीगंज के माफिया पनपते थे। दूसरे राज्यों की पुलिस के छापे की खबर पहले ही कबाड़ियों पर पहुंच जाती थी और चोरी के वाहन को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता था। कई बार वाहनों के टुकड़े ही मिल पाते थे। कुछ मिलाकर बाहरी पुलिस को नाकामी ही हाथ लगती थी।

हर प्रकार के वाहन कटते थे

मेरठ के सोतीगंज में कार, मोटरसाइकिल समेत सभी प्रकार के वाहन बिकते थे। चोरों से वाहन खरीदने के बाद कबाड़ी मिनटों में ही किसी भी वाहन को खोलने की महारत रखते हैं। इन पुर्जों को फिर से पैक करके दूसरे शहरों में बिकने के लिए भेज दिया जाता था। इस तरह से 8-10 हजार में खरीदे वाहन से कबाड़ी लाखों रुपए कमाते थे। सोतीगंज में कबाड़ियों ने अरबों रुपए की संपत्ति अर्जित की।

पुलिस ने 32 कबाड़ियों का बनाया रिकॉर्ड

पुलिस ने वाहनों के अवैध कटान से जुड़े सोतीगंज के 32 बड़े कबाड़ियों का रिकॉर्ड बनाया। वाहन चोरी करने से लेकर उसे काटने और पुर्जों को बेचने के कारोबार में जुटे सभी लोग मुस्लिम है। पुलिस ने इनकी काले कारनामों के सुबूत इकट्ठा किए और इनके खिलाफ अभियान चलाया। सोतीगंज का सबसे कुख्यात कबाड़ी हाजी गल्ला और उसके चार बेटे आज जेल में है। गल्ला समेत कई कबाड़ियों की करोड़ों की संपत्ति कुर्क हो चुकी है। बताया जाता है कि इन कबाड़ियों ने अरबों रुपए की संपत्ति बनाई हुई है।

एसएसपी प्रभाकर चौधरी के सिर बंधा सेहरा

सोतीगंज के कुख्यात कारोबार पर शिकंजा कसने में एसएसपी प्रभाकर चौधरी को सफलता मिली। इसके लिए एसएसपी ने पुलिस की विशेष टीम का गठन किया। इसमें एएसपी कैंट सूरज राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एसएसपी के निर्देशन में पुलिस ने वाहन चोरों के खिलाफ बड़ी निर्णायक कार्रवाई की है। सोतीगंज में ऐसी कार्रवाई दो दशकों के दौरान आज तक कोई पुलिस अधिकारी नहीं कर पाया। इस कारण सोतीगंज का अवैध कारोबार अब अंतिम सांसें गिन रहा है।

जीएसटी तक पहुंचा कबाड़ियों का डाटा

बिना किसी प्रकार का टैक्स चुकाए शातिर कबाड़ियों ने अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया। एसएसपी प्रभाकर चौधरी की अगुवाई ने इन कबाड़ियों की आर्थिक कमर पूरी तरह से तोड़ने की कार्रवाई शुरू की है। इसके तहत पुलिस की स्पेशल टीम ने सोतीगंज के 175 करोड़पति कबाड़ियों का डाटा तैयार करके जीएसटी विभाग के पास भेज दिया है। लोगों की गाढ़ी कमाई से खरीदे गए वाहनों को चुराने के बाद बिना किसी प्रकार का टैक्स चुकाए इन कबाड़ियों ने अरबों रुपए इकट्ठा किया है।


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