पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे सहित कई पर मुकदमा दर्ज,बालिका शिक्षा की भूमि पर घोटाला

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लपेटे में आ सकते हैं कांग्रेस के कई बड़े नेता



रायबरेली, 14 मार्च(हि.स.)। बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के नाम पर ली गई जमीन की हेराफेरी में पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल के बेटे, क्रिकेट खिलाड़ी सहित कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है।
 सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में जमीन घोटाले का यह अलग तरह का मामला है जिसमें कांग्रेस के कई बड़े नेता भी शामिल बताए जा रहे हैं। दो दशक पहले हुए इस घोटाले में अब बड़े खुलासे होने की संभावना है।
  रायबरेली के एडीएम प्रेमप्रकाश उपाध्याय ने शनिवार को सोसायटी के अध्यक्ष,सचिव व अन्य पर धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर जमीन का फ्री-होल्ड कराने व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज कराया है। हालांकि इस मामले की ईओडब्ल्यू द्वारा पहले ही जांच की जा रही है।
 अपर जिलाधिकारी प्रेमप्रकाश द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कमला नेहरू सोसायटी के पक्ष में पट्टा न होने के बावजूद कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग करके व मूल अभिलेख में हेराफेरी करके सोसायटी द्वारा धोखाधड़ी की गई। साथ ही पट्टा के लिए निर्धारित नजराना भी नहीं जमा किया गया।
 इस पूरे मामले में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध है, जिसमें सभी कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर राजस्व विभाग ने सोसायटी के पक्ष को सही मानते हुए जमीन के फ्रीहोल्ड का आदेश कर दिया। दर्ज की गई एफआईआर में सोसायटी के अध्यक्ष, पदाधिकारियों सहित तत्कालीन एडीएम,रजिस्ट्रार, कानूनगो को भी कटघरे में खड़ा करते हुए पूरे मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
  इस मामले में दर्ज एफआईआर में कमला नेहरू सोसायटी के अध्यक्ष, तत्कालीन सचिव व क्रिकेट खिलाड़ी सुनील देव, पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल के बेटे विक्रम कौल, तत्कालीन एडीएम मदनपाल आर्य, तहसीलदार कृष्णपाल सिंह, सब रजिस्ट्रार घनश्याम, प्रशासनिक अधिकारी विंध्यवासिनी प्रसाद, कानूनगो प्रदीप श्रीवास्तव, लेखपाल प्रवीण मिश्र, लिपिक छेदीलाल के नाम हैं। अब दो दशक बाद ही सही इस मामले में बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
क्या है कमला नेहरू सोसायटी की जमीन का मामला
1976 में रायबरेली के सिविल लाइन्स एरिया में करीब 5 बीघे जमीन कमला नेहरू एजुकेशनल ट्रस्ट को 30 साल के लिए लीज पर मिली थी। जिसमें बालिकाओं के लिए स्कूल खोलने जैसी कई सामाजिक कार्य सोसायटी को करने थे। बावजूद इसके इस जमीन पर कुछ भी नहीं हुआ। कमेटी में उस समय कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री उमाशंकर दीक्षित, पूर्व मंत्री बैजनाथ कुरील, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, इंदिरा गांधी के प्रतिनिधि यशपाल कपूर व शीला कौल भी थी। शीला कौल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता थी व राज्यपाल व कैबिनेट मंत्री रह चुकी थी।
 वर्तमान में इस सोसायटी में शीला कॉल के निधन के बाद उनके बेटे गौतम कौल व पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सुनील देव भी हैं। शीला कौल गांधी परिवार से सीधे रिश्ते में थी और इंदिरा गांधी की मामी थीं। 2003 में इस जमीन को फ्री होल्ड कराते हुए ट्रस्ट के पक्ष में बैनामा करा लिया गया। 2011 में ट्रस्ट द्वारा इस जमीन का एग्रीमेंट दस्यु ददुआ के छोटे भाई बालकुमार पटेल और उनके परिजनों के नाम कर दिया गया। हालांकि 23 मार्च 2019 को इस बैनामे को जिलाधिकारी द्वारा ख़ारिज कर दिया गया। जिसे न्यायालय में चुनौती दी गई थी और फ़ैसला सोसायटी के पक्ष में आया था। जिसके बाद इस सम्बंध में सिविल न्यायालय में भी एक वाद दायर किया गया है।

 


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