हर दिल अजीज थे कमल मोरारका
झुंझुनू, 16 जनवरी(हि.स.)। पूर्व केंद्रीय मंत्री व देश के जाने माने उद्योगपति कमल मोरारका का 75 वर्ष की उम्र में शुक्रवार सांय हार्ट अटैक से मुंबई में निधन हो गया। कमल मोरारका देश के जाने माने उद्योगपति व राजनेता थे। उनके पिता महावीर प्रसाद मोरारका भी मुंबई में बड़े उद्योगपति थे। कमल मोरारका का जन्म राजस्थान में झुंझुनू जिले के नवलगढ़ कस्बे में 18 जून 1946 को हुआ था। प्रारंभ में वह अपने पिता के साथ पैतृक व्यवसाय को संभालते रहे। मोरारका इंदौर में देश की सबसे बड़ी कपड़ा मिलों में से एक हुकुमचंद मील के मालिक थे। जिसे 1990 में बंद कर दिया गया था। कमल मोरारका अपने पीछे पत्नी भारती मोरारका व दो पुत्रियों को छोड़ गए हैं।
कमल मोरारका देश के एक बड़े उद्योगपति, राजनेता, समाजसेवी व खेल प्रेमी व्यक्तित्व वाले ऑल इन वन हरफनमौला व्यक्ति थे। वर्तमान में वह मोरारका ऑर्गेनिक के चेयरमैन थे। जिसका व्यापार विदेशों तक फैला हुआ है। मोरारका फाउंडेशन के नाम से वह एक स्वयंसेवी संगठन का संचालन भी करते थे। जिसके माध्यम से राजस्थान के कई जिलों में समाज सेवा का काम किया जा रहा है।
उनके चाचा राधेश्याम मोरारका झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार सांसद व 1978 से 1984 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे थे। कमल मोरारका का भी राजनीति में पूरा दखल था। कमल मोरारका 1988 से 1994 तक राजस्थान से राज्यसभा सदस्य भी रहे थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नजदीकी लोगों में शुमार थे तथा उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री भी रहे थे। मोरारका समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उन्होंने 2016 में भी राजस्थान से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा का चुनाव लड़ा मगर उस वक्त हार गए थे। क्रिकेट के खेल से मोरारका का गहरा लगाव था और वह जिंदगी भर क्रिकेट से जुड़े रहे। मोरारका भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड व राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के लम्बे समय तक उपाध्यक्ष भी रह चुके थे।
देश के बड़े उद्योगपति तथा मुंबई में पले बढ़े कमल मोरारका अपने जन्म स्थान को कभी नहीं भूले। उनका झुंझुनू जिले में विशेषकर अपनी जन्मभूमि नवलगढ़ से विशेष लगाव था। इसी के चलते वह साल में तीन चार बार नवलगढ़ आते थे। सन 1995 में उन्होंने नवलगढ़ में शेखावाटी महोत्सव नाम से एक बड़े पर्यटक मेले की शुरुआत कराई थी। जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक शामिल होते थे। पिछले साल भी नवलगढ़ में आयोजित शेखावाटी मेले में कमल मोरारका आए थे। उन्होंने नवलगढ़ में नगरपालिका का शानदार भवन व क्रिकेट का मैदान बनवाया। मोरारका निकटवर्ती लक्ष्मणगढ़ कस्बे में भी क्रिकेट के लिए एक बड़ा आधुनिक सुविधाओं वाला मैदान का निर्माण करवा रहे थे। उन्होने 1986 में नई दिल्ली में चौथी दुनिया नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र की नींव रखी थी। जिसका आज भी निरंतर प्रकाशन किया जा रहा है। उन्होने नवलगढ़ में कमल मोरारका हवेली संग्रहालय की स्थापना की जिसे देखने के लिये बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं।
कमल मोरारका ने कुछ साल पहले ब्रिटेन में हुई एक नीलामी के दौरान महात्मा गांधी से जुड़े 29 स्मृति-चिन्ह खरीदे थे। जिन्हें बाद में समाजसेवी अण्णा हजारे को सौंप दिया गया था। गांधी जी के स्मृति चिन्हों में महात्मा गांधी के खून से सनी वह घास और मिट्टी भी शामिल थी जिसे दिल्ली के बिड़ला हाउस में 1948 में हुई बापू की हत्या के बाद सहेज कर रखा गया था। इन्हे खरीदने के बाद मोरारका ने कहा था कि यह खरीद कोई व्यावसायिक नहीं बल्कि एक भावनात्मक फैसला था। हमारा मकसद ऐसी चीजें बेचना नहीं बल्कि उन्हें भारत वापस लाकर अपने लोगों के बीच साझा करना है। ये हमारे लिए महत्वपूर्ण धरोहर हैं।
कमल मोरारका एक ऐसे व्यक्ति थे जो मुंबई जैसे बड़े शहर की चकाचैंध में भी रहते थे। उसी तरह वह नवलगढ़ जैसी एक छोटे कस्बे में भी आकर अपनों के साथ रहकर खुशी महसूस करते थे। उनको गौ सेवा से बड़ा लगाव था। वो बहुत सारी गौशालाओं की मदद करते रहते थे। हर वर्ष गौपाष्ठमी के दिन वो नवलगढ़ आकर गायों की पूजा करना नहीं भूलते थे। शेखावाटी क्षेत्र के बहुत से गांवो में उनकी संस्था द्धारा ऑर्गेनिक खेती करवा कर उनके उत्पाद देश विदेश में भेजे जाते हैं। जिससे क्षेत्र के किसानों को अच्छी आय होती है। उनके यहां मौजूदा समय में भी सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
कमल मोरारका के निधन से राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र को बड़ी क्षति हुई है। क्षेत्र के लोगों में शोक व्याप्त है। झुंझुनू के सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़, पूर्व मंत्री व विधायक डॉ जितेंद्र सिंह, डॉक्टर राजकुमार शर्मा, राजेंद्र गुढ़ा, रियाज फारूकी, रंगलाल लमोरिया सहित अनेकों लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।