लखनऊ, 27 सितम्बर (हि.स.)। बाबरी विध्वंस मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता कल्याण सिंह ने शुक्रवार को यहां सीबीआई की विशेष अदालत में समर्पण किया। कल्याण सिंह के खिलाफ इस मामले में कई धाराओं में आरोप तय किए गए हैं। साथ ही कोर्ट ने कल्याण सिंह को 2 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी है।
इससे पहले कल्याण सिंह दोपहर करीब बारह बजे कोर्ट में पेश हुए, जहां उनकी तरफ से जमानत की अर्जी लगाई गई। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें जमानत दी। कल्याण सिंह के खिलाफ कई धाराओं में आरोप भी आज फ्रेम कर दिए गए। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उन पर धारा 149 लगाई गई है। इसके साथ ही 153ए, 153बी, 295, 295ए, 505 आईपीसी शामिल हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रोजाना सुनवाई हो रही है। इसलिए कोई अगली तारीख नहीं दी गई है। सुनवाई लगातार चलती रहेगी। जमानत मंजूर होने के बाद कल्याण सिंह कोर्ट से घर को रवाना हो गए।
बाबरी विध्वंस मामले में आरोपितों में कल्याण सिंह का भी नाम था। राजस्थान का राज्यपाल रहने के कारण उन्हें अनुच्छेद 361 के तहत पेशी से छूट मिली हुई थी। राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब वह किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं। उन्होंने हाल ही में भाजपा की सदस्यता पुन: ग्रहण की है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े आपराधिक साजिश के मामले में आज पेश होने का आदेश दिया था।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई को साक्ष्य पेश करने को कहा था। सीबीआई को कोर्ट में यह साक्ष्य पेश करना था कि कल्याण सिंह वर्तमान में किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं हैं, इसलिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। सीबीआई की तरफ से कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया था। इसके बावजूद कोर्ट ने बीती 21 सितम्बर को ये आदेश जारी किया था। अयोध्या मामले में सीबीआई विशेष कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किया था। इसी के बाद कल्याण यहां सीबीआई कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कहा कि सीबीआई अदालत ने मुझे आज तलब किया था, इसलिए मैं वहां जा रहा हूं। मैंने हमेशा अदालत का सम्मान किया है और आगे भी करता रहूंगा। राम मंदिर के निर्माण को लेकर पूछे गये सवाल पर कल्याण सिंह ने कहा कि वह अपनी मंशा अदालत में बतायेंगे।
6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। मामले की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अयोध्या मामले के लिए लिब्राहन आयोग का गठन 16 दिसम्बर 1992 में किया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बाबरी विध्वंस को सुनियोजित साजिश करार देते हुए 68 लोगों को दोषी माना था। लिब्राहन आयोग ने कहा था कि कल्याण सिंह ने घटना को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया था, जिसमें कल्याण सिंह के अलावा लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास, विनय कटियार, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, विष्णु हरि डालमिया, नृत्य गोपाल दास, सतीश प्रधान, आरवी वेदांती, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा (प्रेम) और धर्म दास को आरोपी मानते हुए मुकदमा चलाने की बात कही थी। कल्याण सिंह को छोड़कर बाकी आरोपितों को कोर्ट से जमानत मिली हुई है। इन सारे नेताओं के खिलाफ अयोध्या में बाबरी विध्वंस के लिए आपराधिक षड्यंत्र करने का आरोप है, जो धारा 120 (बी) के तहत चल रहा है।