कोलकाता, 02 अक्टूबर (हि.स.)। झारखंड पुलिस के आतंक निरोधी दस्ता (एटीएस) के हाथों गिरफ्तार किया गया अलकायदा का आतंकी मौलाना कलीमुद्दीन ने अपने कोलकाता कनेक्शन का भी खुलासा किया है। पता चला है कि कोलकाता में उसका बेटा हुजैफा रहता है। कलीमुद्दीन भी लंबे समय तक कोलकाता में रहा है और महानगर के अलावा बंगाल के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर उसने कई आतंकियों को तैयार किया है। एटीएस की पूछताछ में इस बात का खुलासा होने के बाद कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) सक्रिय हो गई है। एसटीएफ की एक टीम झारखंड की राजधानी रांची के लिए रवाना हुई है जहां मौलाना कलीमुद्दीन से पूछताछ होनी है।
बुधवार को एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि मौलाना कलीमुद्दीन ने झारखंड के अलावा ओडिसा और पश्चिम बंगाल में अपने विशाल नेटवर्क के बारे में खुलासा किया है। उसके बेटे और परिवार के अन्य सदस्यों की मौजूदगी कोलकाता में ही है जिन पर निगरानी रखी जा रही है। कलीमुद्दीन से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी की पश्चिम बंगाल से उसके आतंक नेटवर्क का क्या कुछ कनेक्शन रहा है। दरअसल 21 सितंबर की रात को जमशेदपुर से कोलकाता आने के लिए वह रवाना हुआ था। टाटानगर स्टेशन पर एटीएस की टीम ने उसे गिरफ्तार किया था। उसका एक अन्य सहयोगी है जिसका नाम अब्दुल रहमान कटकी है। 2015 में उसे ओडिशा में गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से लेकर अब तक वह तिहाड़ जेल में बंद है। पूछताछ में उसी ने इस बात का खुलासा किया था कि दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी माना जाने वाला ओसामा बिन लादेन का संगठन अलकायदा का भारत में नेटवर्क चलाने की जिम्मेदारी मौलाना कलीमुद्दीन का है। उसके बाद से सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हुई थी। कोलकाता पुलिस की एसटीएफ और अन्य एजेंसियों से भी उसकी जानकारी साझा की गई थी। देश भर की सुरक्षा एजेंसियों उसकी तलाश में थी लेकिन वह सब को चकमा देने में सफल रहा था। आखिरकार उसे झारखंड पुलिस की एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया है। अब जबकि उसने अपने कोलकाता कनेक्शन का खुलासा किया है तो बंगाल की सुरक्षा एजेंसियां भी चौकस हो गई हैं।
आतंकी ने बताया है कि उसने झारखंड के अलावा बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में अलकायदा के नेटवर्क को मजबूत किया है। कई जगहों पर उसने आतंकियों का स्लीपर सेल तैयार किया है जिन्हें सऊदी अरब से काठमांडू के रास्ते ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा जाता था। वहां से प्रशिक्षण लेकर ही आतंकी भारत लौटते थे जहां आतंकी नेटवर्क फैलाने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रची जाती थी।