के. रहमान खान ने भी मोहन भागवत और मौलाना मदनी जैसी मुलाकातों की वकालत की

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 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बातचीत को ही बताया हिंदू-मुस्लिम के बीच की दूरियों को खत्म करने का वाहिद रास्ता
 कहा- समाज के लिए फायदेमंद बनाने से बढ़ेगी मुसलमानों की स्वीकार्यता



नई दिल्ली, 01 अगस्त (हि.स.)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के. रहमान खान का कहना है कि दो धर्मों, समुदायों और वर्गों के बीच व्याप्त तनाव और नफरत को दूर करने के लिए बातचीत सबसे अच्छा रास्ता है।

‘हिन्दुस्थान समाचार’ के साथ विशेष बातचीत में के. रहमान खान ने कहा कि हमारे देश में नफरत के माहौल को दूर करने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बातचीत से सभी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। उनका कहना है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की तरफ से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से की गई बातचीत एक अच्छा रास्ता था और इसे आगे भी जारी रखना चाहिए।

उनका कहना है कि विश्व में किसी भी तरह की कोई भी समस्या है तो उसका हल सिर्फ बातचीत से ही निकाला जा सकता है। हमारे देश में भी नफरत और तनाव को दूर करने के लिए मिल बैठकर बातचीत करके सभी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है और इस पर हमें काम करना चाहिए।

काबिलेगौर है कि राज्यसभा के पूर्व डिप्टी चेयरमैन के. रहमान खान आजकल काफी चर्चा में हैं। उन्होंने कोरोना काल के दौरान दो पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पहली किताब उर्दू भाषा में लिखी गई है, जिसका शीर्षक ‘मेरी यादें’ है। इस किताब में उन्होंने अपने जीवनकाल की बहुत सी घटनाओं और अनुभव का जिक्र किया है। दूसरी किताब अंग्रेजी भाषा में है, जिसका टाइटल ‘इंडियन मुस्लिम्स- दि वे फारवर्ड’ है। उनकी अंग्रेजी पुस्तक का उर्दू अनुवाद जल्द पूरा होने वाला है और इन दोनों पुस्तकों का लोकार्पण आगामी 16 अगस्त को पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के हाथों किया जाना है।

के. रहमान खान ने इन्हीं दोनों किताबों को ध्यान में रखते हुए अपनी बातचीत में कहा है कि भारतीय मुसलमानों को शिक्षा, समाज-सुधार, राजनीति और आर्थिक क्षेत्रों में अपना रोल अदा करना चाहिए। उनका कहना है कि कोई भी वर्ग समाज में तभी स्वीकार किया जाता है, जब वह खुद को इसके लिए फायदेमंद बनाएगा। भारतीय मुसलमानों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कारपोरेट सेक्टर में उनका योगदान शून्य है। देश की जीडीपी कारपोरेट सेक्टर से चलती है और जब हम कारपोरेट सेक्टर में मौजूद नहीं हैं तो हमारी स्थिति इस देश में क्या होगी? इसका बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।

उन्होंने बातचीत में आगे कहा कि कोई भी समाज या वर्ग कीमती तभी होगा, जब वह समाज के लिए फायदेमंद साबित होगा। कोई भी वर्ग दिलों में जगह उसी वक्त बना सकता है, जब वह अपने कामों के जरिए सामाजिक और देश की तरक्की में अपना किरदार अदा करे। किसी भी समुदाय या वर्ग के आगे बढ़ने का सबसे उम्दा तरीका शिक्षा है। हमें शिक्षा की तरफ अधिक ध्यान देने की जरूरत है। हमें कारपोरेट सेक्टर में भी अपना प्रतिनिधि बढ़ाने की जरूरत है। हमें नौकरी तलाशने के बजाय, हमें नौकरी देने वाला बनना चाहिए और यह तभी होगा जब हम समाज के लिए खुद को फायदेमंद साबित करेंगे। इसके लिए ज्यादा जरूरी है कि हम अपने अंदर पैदा होने वाली नकारात्मक सोच को खत्म करें।

उनका कहना है कि मुस्लिम समाज में एक दूसरे के लिए खाई खोदने की परंपरा लंबे अरसे से देखने को मिल रही है। अगर कोई मुसलमान किसी क्षेत्र में तरक्की करता है और जिससे समाज भी फायदा उठा रहा है तो हमारे लोग जो कि नकारात्मक सोच रखते हैं, उसके पीछे पड़ जाते हैं। हमें अपने अंदर पनप रही इस तरह की कमजोरियों को दूर करना चाहिए और तरक्की करते हुए व्यक्ति या संगठन का साथ देना चाहिए। अन्यथा हमारी कौम दिन-ब-दिन जलील होती जाएगी। हमें अब अपने आपको समाज के लिए फायदेमंद बनाना ही होगा। वरना देश में हमें कूड़ा करकट समझा जाता रहेगा।


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