जस्टिस कैत ने अपने फैसले पर दिया स्पष्टीकरण, कहा- नहीं हुई कोई गलती

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जस्टिस सुरेश कैत ने कहा कि अखबारों में छपी खबरें एक नजरिये से प्रेरित थीं।



नई दिल्ली, 19 नवम्बर (हि.स.)। हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुरेश कैत ने मंगलवार को फिर चिदंबरम की जमानत खारिज करने के अपने फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उनके आदेश में कोई गलती नहीं हुई है। जस्टिस सुरेश कैत ने कहा कि अखबारों में छपी खबरें एक नजरिये से प्रेरित थीं।

दरअसल ईडी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चिदंबरम की जमानत खारिज करने के फैसले के कुछ अंश में गलतियों को सुधारने के लिए याचिका दायर किया था। ईडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुरेश कैत ने कहा कि आदेश के 35वें पैरा में जो कहा गया है वो एक केस का उद्धरण मात्र है और उसका चिदंबरम के केस से कोई लेना-देना नहीं है।

ईडी की याचिका का चिदंबरम के वकील दायन कृष्णन ने विरोध करते हुए कहा कि इससे आदेश पर खासा फर्क पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा-362 के तहत कोर्ट अपने आदेश में बदलाव नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी ने कभी भी सीसीटीवी फुटेज का जिक्र नहीं किया तो कोर्ट ने अपने आदेश के पैरा नंबर 36 में कैसे इसका जिक्र किया।

पिछले 18 नवम्बर को जस्टिस सुरेश कैत ने अंग्रेजी के दो अखबारों को आदेश दिया है कि वे इस संबंध में कल यानि 19 नवम्बर को इस संबंध में स्पष्टीकरण छापें। दरअसल अंग्रेजी के दोनों अखबारों ने यह खबर छापी थी कि चिदंबरम की जमानत निरस्त करते वक्त हाईकोर्ट के आदेश के पैरा नंबर 35 में मनी लॉन्ड्रिंग के दूसरे मामले के आदेश को ज्यों का त्यों पेश किया गया। अखबारों ने अपनी खबर में कहा था कि चिदंबरम की जमानत निरस्त करने के लिए उस केस को आधार बनाया, जिसका उनके केस से संबंध ही नहीं था। इस पर जस्टिस सुरेश कैत ने कहा कि पैरा नंबर 35 में जिस केस के बारे में चर्चा की गई थी वो उस केस का उदाहरण दूसरे केस के लिए ही किया गया था न कि चिदंबरम के केस के बारे में।

जस्टिस सुरेश कैत ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वो दोनों अखबारों के मुख्य संपादक को ये बताएं कि आज के हाईकोर्ट के आदेश के संदर्भ में 19 नवम्बर के अपने अखबार में स्पष्टीकरण छापें।

उल्लेखनीय है कि पिछले 15 नवम्बर को हाईकोर्ट ने ईडी वाले मामले में हाईकोर्ट ने चिदंबरम की याचिका खारिज किया था। चिदंबरम ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

 

 


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