जस्टिस इंदू मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में कामकाज के आखिरी दिन भावुक हुईं

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नई दिल्ली, 12 मार्च (हि.स.)। वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज बनी जस्टिस इंदू मल्होत्रा का शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस था। अपने अंतिम कार्यदिवस पर जस्टिस मल्होत्रा भावुक हो गई और कहा कि वे संपूर्णता के भाव के साथ कोर्ट छोड़ रही हैं। गौरतलब है कि जस्टिस मल्होत्रा 13 मार्च को रिटायर हो रही हैं।

शुक्रवार को जस्टिस मल्होत्रा चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच का हिस्सा थीं। चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने जस्टिस मल्होत्रा को अपने सामने पेश होते देखा है। उन्होंने एक वाकया बताते हुए कहा कि जब उन्होंने दलील देना बंद नहीं किया तो उन्होंने अपने सहयोगी से पूछा था कि वह क्यों नहीं रुक रही हैं। तब उनसे कहा गया कि वो इतनी तैयारी कर के आती हैं कि वह अपनी हर बात को बताने से खुद को रोक नहीं सकतीं।

इस मौके पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जस्टिस मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट की बेहतरीन जजों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जजों को सुप्रीम कोर्ट की बेंच से 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत होना पड़ता है। अटार्नी जनरल ने कहा कि जस्टिस मल्होत्रा ने सबरीमाला मामले में संवैधानिक नैतिकता का प्रस्ताव रखा था तो लोग आश्चर्य में पड़ गए थे।

इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि जस्टिस मल्होत्रा को सुनवाई में शामिल होता देखकर काफी खुशी हो रही थी। उन्होंने कहा कि जजों को 70 साल तक रिटायर नहीं होना चाहिए। 65 वर्ष वह उम्र है जब आप अपना बेहतरीन परफार्म कर रहे होते हैं। उन्होंने कहा कि जस्टिस मल्होत्रा के रिटायर होने के बाद उनकी जगह को तत्काल भरा जाना चाहिए और एक महिला जज की नियुक्ति होनी चाहिए। इस मौके पर वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने जस्टिस मल्होत्रा के पिता के जूनियर के रूप में काम के दिनों को याद दिया।

 


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