आंदोलनरत डॉक्टरों का दावा : वार्ता के लिए नहीं मिला आधिकारिक आमंत्रण

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राज्य सरकार के पास रविवार को ही आंदोलनरत चिकित्सकों ने सहमति पत्र भेजा था, जिसमें राज्य सचिवालय में बैठक के लिए तैयार हुए थे। लेकिन शर्त रखी थी कि बंद कमरे के अंदर बैठक नहीं होनी चाहिए।



कोलकाता, 17 जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत राज्य भर में गत सात दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के सोमवार को खत्म होने के आसार हैं। रविवार रात राज्य सचिवालय की ओर से बताया गया था कि डॉक्टरों के साथ अपराहन तीन बजे सचिवालय के प्रेक्षागृह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक करेंगी। हालांकि सोमवार सुबह आंदोलनरत चिकित्सकों ने एक बयान जारी किया है, जिसमें दावा किया है कि सचिवालय में बैठक के लिए उन्हें आधिकारिक तौर पर आमंत्रण नहीं मिला है।
आंदोलनरत चिकित्सकों की ओर से सोमवार सुबह जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आज सचिवालय में मुख्यमंत्री के साथ वार्ता के संबंध में हमें आधिकारिक तौर पर कोई आमंत्रण नहीं मिला है। मीडिया में ऐसी खबरें चली हैं कि मुख्यमंत्री ने अपराहन तीन बजे बैठक का समय दिया है। हालांकि हमें इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं बताया गया है। चिकित्सकों ने अपने विज्ञप्ति में यह भी साफ कर दिया है कि वह जल्द से जल्द काम पर लौटना चाहते हैं ताकि लोगों को इलाज मिल सके। इसके साथ ही विज्ञप्ति में जूनियर डॉक्टरों ने कहा है कि हम लोग एक बार फिर स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम लोग बंद कमरे के अंदर किसी तरह की कोई वार्ता नहीं करना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के पास रविवार को ही आंदोलनरत चिकित्सकों ने सहमति पत्र भेजा था, जिसमें राज्य सचिवालय में बैठक के लिए तैयार हुए थे। लेकिन शर्त रखी थी कि बंद कमरे के अंदर बैठक नहीं होनी चाहिए। मीडिया के कैमरे के सामने राज्य भर के सभी 14 मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के बीच मुख्यमंत्री से वार्ता होगी। उसके बाद रविवार देर शाम स्वास्थ्य विभाग ओर से बताया गया था कि राज्य सचिवालय के प्रेक्षागृह में वार्ता होगी, लेकिन मीडिया के कैमरों के सामने नहीं बल्कि मुख्यमंत्री और जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि पहले बैठक कर लेंगे और बाद में दोनों पक्ष संयुक्त प्रेस वार्ता करेंगे। अब सोमवार को आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने जो विज्ञप्ति जारी की है उसमें समस्या थोड़ी जटिल होती दिख रही है। अगर आधिकारिक तौर पर राज्य सरकार ने उन्हें बैठक के लिए नहीं बुलाया है तो अभी तक क्यों नहीं बुलाया? इसके साथ ही चिकित्सक बंद कमरे के अंदर बैठक के लिए तैयार नहीं है तो क्या एक बार फिर इस बैठक को लेकर समस्याएं शुरू होने लगी हैं?
गत 10 जून को कोलकाता के नीलरतन सरकार (एनआरएस) अस्पताल में एक 75 वर्षीय वृद्ध मोहम्मद शाहिद का निधन हो जाने के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग अस्पताल में घुस गए थे और कर्तव्यरत जूनियर डॉक्टरों को बर्बर तरीके से मारा पीटा गया था। इसके बाद से राज्यभर के डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया। 700 से अधिक सरकारी डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इसकी वजह से गत छह दिनों से राज्यभर में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से विकल हैं। शनिवार को मुख्यमंत्री ने जूनियर डॉक्टरों को बैठक के लिए सचिवालय में बुलाया था, लेकिन डॉक्टरों ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि मुख्यमंत्री को एनआरएस अस्पताल में आकर बैठक करनी होगी। लेकिन उसी दिन देर शाम राज्य सरकार की ओर से 10 सूत्रीय अधिसूचना जारी कर चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया। मुख्यमंत्री ने एक अलग बयान जारी किया था, जिसमें डॉक्टरों पर हमले की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है। इसके बाद चिकित्सकों का सुर नरम हुआ। कल मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया था कि बैठक के लिए डॉक्टरों को ही सचिवालय में आना होगा।

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