नई दिल्ली, 11 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सोशल मीडिया में पोस्ट करने के मामले में गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने पर सवाल खड़ा किया।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने कहा कि ऐसी टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए थी लेकिन क्या इसके लिए गिरफ्तार किया जाना सही कदम है। कोर्ट ने कहा कि हम ट्वीट को सही नहीं ठहरा सकते, लेकिन उसके लिए जेल में डाल देना सही नहीं है।
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि पत्रकार प्रशांत की सारी टाइम लाइन को हमने देखा है। उसने न केवल राजनेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट किए हैं, बल्कि देवी- देवताओं के खिलाफ भी बेहद अपमानजनक ट्वीट किए हैं। इसलिए हमने भारतीय दंड संहिता की धारा 505 उसके खिलाफ लगाई है। उन्होंने कहा कि अगर उसे रिहा किया जाता है तो उसके ट्वीट को सही बताया जाएगा। तब जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि नहीं, ये उसके अधिकारों की बात है। किसी नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि है और उसके अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
याचिका प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली की कोर्ट से कोई ट्रांजिट रिमांड लिए बिना ही प्रशांत को गिरफ्तार कर लिया गया।
दरअसल, कनौजिया ने अपने ट्विटर और फेसबुक पर एक वीडियो डाला था, जिसमें एक महिला को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के बाहर कई मीडिया संस्थानों के संवाददाताओं से बातचीत करते हुए दिखाया गया है। उसमें वह महिला दावा कर रही है कि उसने मुख्यमंत्री को विवाह प्रस्ताव भेजा है। इसी पोस्ट के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था।