देश-समाज को अपना मानकर की जाए पत्रकारिता : डॉ मनमोहन वैद्य
नई दिल्ली, 09 मई (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने शनिवार को कहा कि पत्रकार के अंदर यह भावना रहनी चाहिए कि जिस समाज से जुड़े विषयों को वह उठा रहा है, वह उसका अपना है। उसका काम समाज को केवल समाचार देना नहीं बल्कि सावधान करना और अच्छे काम के लिए प्रोत्साहित करना भी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने इंद्रप्रस्थ संवाद केंद्र की ओर से देव ऋषि नारद की जयंती पर आयोजित वेबीनार में उक्त बातें कहीं।
डॉक्टर वैद्य ने कहा कि संघ के 62 हजार स्थानों पर तीन लाख से ज्यादा स्वयंसेवक कोरोना महामारी से निपटने के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत की परंपरा का हिस्सा है कि हम कभी राज्य पर आधारित नहीं रहे। सालों की परंपरा से ऐसे समाज का निर्माण होता है, जो आत्मनिर्भर होता है और स्वयं जन सेवा में आगे बढ़कर कार्य करता है।
डॉ वैद्य ने कहा कि समाज संसाधन नहीं है भारत की कल्पना हमेशा मनुष्य को समाज का अंग मानती रही है। हमें समाचार बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि देश का गौरव, सम्मान, एकता और अखंडता को कोई नुकसान ना पहुंचे।
वेबीनार में इंदिरा गांधी कला केंद्र (आईजीएनसीए) के अध्यक्ष व हिन्दुस्थान समाचार के समूह संपादक राम बहादुर राय ने कहा कि नारद मुनि का जिक्र केवल हिंदू ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म में भी पाया जाता है। उन्होंने कहा कि वह सरल स्वभाव के क्रोध मुक्त व सत्य वाचक थे।
नारद मुनि की तुलना पत्रकारों से करते हुए उन्होंने कहा कि नारद के पांव का मुहावरा इस बात का दर्शाता है कि वह हर जगह मौजूद रहते थे और चरैवेति चरैवेति ही उनके जीवन का उद्देश्य था। स्वामी अखंडानंद के अनुसार नारद वह है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को आज आत्मावलोकन करने की जरूरत है। मीडिया को सवाल पूछना आता है लेकिन क्या वह सत्य का सामना कर सकती है। अगर ऐसा होता तो फेक न्यूज़ का कारोबार कभी नहीं खड़ा होता। पत्रकार को न्याय और अन्याय के अंतर को स्पष्ट करते हुए न्याय के साथ खड़े होने का साहस दिखाना चाहिए।
आईजीएऩसीए अध्यक्ष ने कहा कि पत्रकार को अपने मानवीय पहलू को भी नहीं भूलना चाहिए। पत्रकार का यह कर्तव्य है कि वे लोगों की जरूरतों को देखते हुए जनमत जगाने की भूमिका निभाए। आज की पत्रकारिता में सत्ता, संपत्ति और चमत्कार पर ज्यादा नजर है, लोगों का सरोकार कहीं खो गया है। आज जरूरत है कि हम यह जाने कि पत्रकारिता क्या नहीं है। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज़ से पेड न्यूज़ तक के सफर में पत्रकार से लेकर अब पत्रकारिता संस्थान भी भ्रष्ट होते जा रहे हैं। यह एक भयावह स्थिति है जिस पर सरकार को संज्ञान लेते हुए जांच करानी चाहिए। इसके अलावा मीडिया में विदेशी निवेश पर रोक लगनी चाहिए।