जेएनयू में पीएचडी की सभी सीटें जेआरएफ के लिए आवंटित करने के मामले में सुनवाई टली

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नई दिल्ली, 02 अगस्त (हि.स.)। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि यूनिवर्सिटी की पीएचडी की सभी सीटों को केवल जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के लिए ही आवंटित करने का फैसला काफी सोच समझकर लिया गया है। जेएनयू ने कहा कि ये फैसला अकादमिक विशेषज्ञों के सर्वोच्च निकाय की सलाह पर किया गया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए टाल दिया है।

याचिका स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की जेएनयू युनिट ने दाखिल की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए जेएनयू के सात केंद्रों में पीएचडी की सौ फीसदी सीटों को जेआरएफ कैटेगरी के आवेदकों के लिए आवंटित कर दिया गया है। जेएनयू के फैसले से नॉन जेआरएफ कैटेगरी के छात्र यहां से पीएचडी नहीं कर पाएंगे। इससे कई छात्र पीएचडी करने से वंचित रह जाएंगे।

याचिका में कहा गया है कि जेएनयू में अभी तक यह नियम लागू नहीं था। पिछले साल जेएनयू में पीएचडी की सीटों को जेआरएफ कैटेगरी से भरने के साथ ही नॉन जेआरएफ छात्रों के लिए प्रवेश परीक्षा की भी व्यवस्था थी लेकिन इस सत्र के लिए जेएनयू ने अपने ई-प्रोस्पेक्टस में सभी सीटों को जेआरएफ से भरने का फैसला किया है। ऐसा करना मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है।

जेएनयू के जिन सात केंद्रों के लिए पीएचडी में केवल जेआरएफ कैटेगरी के छात्रों को ही सीटें देने का फैसला किया गया है उनमें सेंटर फॉर इंटरनेशनल ट्रेड एंड डेवलेपमेंट, पीएचडी इन ह्यूमन राइट्स स्टडीज, सेंटर फॉर इंग्लिश स्टडीज, सेंटर फॉर इंडियन लैंग्वेजेज (पीएचडी इन हिंदी, पीएचडी इन उर्दू, पीएचडी इन हिंदी ट्रांस्लेशन), सेंटर फॉर स्टडी फॉर लॉ, गवर्नेंस, स्पेशल सेंटर फॉर सिस्टम्स मेडिसिन और सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज शामिल हैं।


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