झारखंड का ‘न्यू्ट्रा पेय’ देश के लोगों को करेगा सेहतमंद, सुधरेगी आदिवासियों की माली हालत
रांची, 18 सितंबर (हि.स.)। झारखंड में वैसे तो महुआ से शराब बनाने का प्रचलन है लेकिन राज्य सरकार इससे पौष्टिक पेय तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ गई है। अब महुआ से स्वास्थ्यवर्धक न्यूट्रा पेय तैयार कर उसके व्यापक पैमाने पर बाजारीकरण का दरवाजा खोल दिया गया है। यह पेय राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों को सेहतमंद करेगा। इसके लिए ट्राइफेड ने एफआईआईटी और झारखंड में पूर्वी सिंहभूम की मेसर्स रसिका बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ उत्पादन और बिक्री का समझौता किया है।
ट्राइफेड, आदिवासियों के सशक्तीकरण के लिए काम करने वाली नोडल संस्था के रूप में जनजातीय लोगों के जीवन और आजीविका में सुधार के नए तरीके खोजने के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। ट्राइफेड, एफआईटीटी और रसिका बेवरेजेज़ ने 16 सितंबर, 2021 को राज्य में महुआ के फूल से बने एक मूल्य वर्धित उत्पाद, महुआ न्यूट्रा पेय के वाणिज्यिक उत्पादन और बिक्री के माध्यम से झारखंड के आदिवासियों की आय बढ़ाने के लिए एक साथ काम करने के एक समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं।
ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण, एफआईटीटी के प्रबंध निदेशक अनिल वाली और रुसिका बेवरेजेज के निदेशक, डोमन टुडू ने तीनों संगठनों के राष्ट्रीय प्रमुख-बैंकिंग और वित्त, डीआईसीसीआई और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
झारखंड में अब महुआ से शराब नहीं, न्यूट्रा पेय बनेगा
ट्राइफेड ने एफआईटीटी के सहयोग से महुआ फूल से बने इस मूल्य वर्धित उत्पाद महुआ न्यूट्रा पेय को विकसित किया है ताकि आदिवासी एमएफपी के मूल्यवर्धन और प्रौद्योगिकियों के विकास से अधिकतम लाभ उठा सकें। एफआईटीटी इस तकनीक के व्यावसायीकरण का पोषण करने, बढ़ावा देने और बनाए रखने के लिए इंटरफेस के रूप में कार्य करता है। अब महुआ न्यूट्रा पेय के व्यावसायीकरण के लिए झारखंड के मेसर्स रसिका बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड को प्रौद्योगिकी का लाइसेंस दिया जा रहा है। इस परियोजना के एक हिस्से के रूप में मेसर्स रसिका बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड महुआ फूल के संग्रह में लगे झारखंड के आदिवासी वन संग्रहकर्ताओं से महुआ न्यूट्र पेय के उत्पादन के लिए महुआ फूल की खरीद करेगा और इसका प्रसंस्करण वीडीवीके क्लस्टर्स में एमएसपी मूल्य से कम कीमत पर नहीं होगा।
ट्राइफेड द्वारा झारखंड राज्य और देश में अपनी तरह का यह पहला उपक्रम है। यह अन्य राज्यों में भागीदार उद्यमियों के लिए अवसर खोलता है जो देश भर में आदिवासी समुदायों के लाभ के लिए न्यूट्रा पेय इकाई शुरू करने की तलाश में हैं। महुआ न्यूट्रा पेय अपने बेहतर रूप में अनार के फलों के रस के साथ मिश्रित है, जो पोषण मूल्य को बढ़ाता है तथा महुआ पेय की सुगंध और बनावट में सुधार करके इसके स्वाद को और उत्तम बनाता है।
नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रतिष्ठान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटीडी) द्वारा संस्थान में अनुसंधान परिणामों के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने, पोषण करने और बनाए रखने के लिए उद्योग इंटरफ़ेस निकाय के रूप में स्थापित एक इकाई है। एफआईटीटी को व्यावसायीकरण और सामाजिक पहुंच का पता लगाने के लिए आईआईटी दिल्ली द्वारा अधिकृत किया गया है।
अपनी विभिन्न पहलों, विशेष रूप से ट्राइफूड परियोजना और वन धन स्टार्ट-अप योजना के एक हिस्से के रूप में ट्राइफेड आदिवासी वन संग्रहकर्ताओं द्वारा एकत्र किए गए एमएफपी के बेहतर उपयोग और मूल्यवर्धन के माध्यम से आदिवासियों की आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। ट्राइफेड मूल्यवर्धित उत्पादों, प्रक्रिया प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए वैज्ञानिक संगठनों और विश्वविद्यालयों आदि को अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को आउटसोर्स भी करता है ताकि आदिवासी एमएफपी के मूल्यवर्धन और प्रौद्योगिकियों के विकास से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें। इसी उद्देश्य के तहत एफआईटीटी और मैसर्स रसिका बेवरेजेज़ के साथ यह सहयोगी परियोजना शुरू की गई है।
इसके प्रमुख कार्यक्रमों और कार्यान्वयनों में, ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र’ और विशेष रूप से एमएफपी के लिए मूल्य वर्धित श्रृंखला की विकास’ योजना, पहले से ही परिवर्तन के एक प्रतीक के रूप में उभरी है और सकारात्मक रूप से सामने आई है तथा आदिवासी ईकोसिस्टम को पहले की तरह प्रभावित किया।
ट्राइफेड ने 21 राज्यों में इस योजना को किया शुरू
ट्राइफेड ने देश के 21 राज्यों में राज्य सरकार की एजेंसियों के सहयोग से लागू की। इस योजना ने अप्रैल 2020 से सीधे आदिवासी अर्थव्यवस्था में करोड़ों रुपये का निवेश किया है। मई 2020 में सरकार द्वारा सहायता से लघु वन उपज (एमएफपी) की कीमतों में 90 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई और एमएफपी सूची में 23 नई वस्तुओं को शामिल किया गया है।वन अधिकार अधिनियम 2005 से शुरू की गई जनजातीय कार्य मंत्रालय की इस प्रमुख योजना का उद्देश्य वन उत्पादों के संग्रहकर्ता आदिवासियों को पारिश्रमिक और उचित मूल्य प्रदान करना है।
वन धन विकास योजना भी इसी परियोजना का एक घटक है, जो एमएसपी को आगे बढ़ाती है और आदिवासी संग्रहकर्ताओं तथा वनवासियों और घर में रहने वाले आदिवासी कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के एक स्रोत के रूप में उभरी है। कार्यक्रम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन मूल्य वर्धित उत्पादों की बिक्री से होने वाली आय सीधे आदिवासियों को मिले।
इसे अगले तार्किक चरण में ले जाने के लिए, ट्राइफेड जनजातीय सशक्तीकरण की दिशा में अपने अभियान को जारी रखने के लिए संगठनों, सरकारी और गैर-सरकारी और अकादमिक के साथ अभिसरण की खोज कर रहा है। इसका उद्देश्य विभिन्न ताकतों को एक साथ जोड़ना और एक साथ काम करना है जो आदिवासी लोगों की आय और आजीविका को बढ़ाने में मदद करेगा।
इस सहयोग के सफल कार्यान्वयन के साथ, यह अनूठा, पोषण उत्पाद देश भर के घरों तक पहुंचेगा और एक प्रचलित नाम बन जाएगा तथा जनजातीय लोगों और उनकी आजीविका की वृद्धि में योगदान देगा।