झारखंडः 28 स्टील प्लांटों में एक ही दिन एकसाथ लटके ताले,35 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर संकट

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कंपनी मालिकों का सवाल, एक राज्य में दो बिजली दर क्यों, हम दोहरी मार झेल रहेडीवीसी 2.95 रुपये प्रति यूनिट तो जेबीएनएल 5.50 रुपये की दर से देती है बिजली



रांची, 01 अगस्त (हि.स.)। झारखंड सरकार की दोहरी नीति और एक ही राज्य में बिजली दरों की अलग-अलग व्यवस्था की मार यहां के उद्यमियों को झेलनी पड़ी। मुख्यमंत्री रघुवर दास के लगातार आश्वासन के बाद भी समाधान नहीं निकला। नतीजा हुआ कि झारखंड राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) में बिजली की दरों में 38 फीसदी बढ़ोतरी के खिलाफ झारखंड के 28 स्टील प्लाटों में एक साथ और एक ही दिन पहली अगस्त से ताले लटक गए। इनमें रामगढ़ की 03 और कोल्हान (आदित्यपुर, धालमूगढ़ और चांडिल) की 25 कंपनियां शामिल हैं।

बिजली दर में हुई बढ़ोतरी के कारण इंडक्शन फर्नेस चलाने वाले सभी उद्यमियों को प्रतिमाह लगभग 35 लाख रुपये का नुकसान हो रहा था। ऐसे में अधिकतर कंपनी मालिकों ने अपने गेट पर नोटिस चिपका कर एक अगस्त से कंपनी बंद करने की घोषणा कर दी। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 35 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। बंद होने वाली कंपनियों में रामगढ़ की 03 वैष्णवी फेरो टेक, ग्लोब स्टील एंड एलॉय और मथुरा इंगोट शामिल हैं। इसके अलावा कोल्हान के आदित्यपुर-गम्हरिया की कामसा स्टील, नरेडी स्टील, स्टाइल कोमोडिटी, श्यामलाल आयरन, एसजी मल्टिकॉस्ट, मेटल कॉस्टिंग, जगदंबा इंगोटेक, संथाल एलॉय, पूर्वी आयरन, चौका-चांडिल की वनांचल स्टील, लॉर्ड बालाजी, पसारी कॉस्टिंग, डिवाइन एलॉय, गैलेक्सी एक्सपोर्ट, सिद्धि विनायक, गुलमोहर स्टील, जूही इंडस्ट्रीज, सनफ्लावर, मेटल एंड एलॉय तथा धालभूमगढ़ की हरिओम स्मेल्टर, गजानन फेरो, शंकर फेरो, हिमाद्री स्टील, बाबूभाई मेटालिक और सुखसागर हैं। ऐसे में वे सभी कर्मचारी और मजदूर बेरोजगार हो गये, जिनकी रोजी-रोटी इन कंपनियों से चलती थी।

कंपनी मालिकों ने सवाल उठाया कि आखिर एक राज्य में बिजली की दो अलग-अलग दरें क्यों हैं। दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) में बिजली दर प्रति यूनिट 2.95 रुपये है, जबकि झारखंड राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) में बिजली की दर 5.50 रुपये प्रति यूनिट है। यह डीवीसी से 2.55 रुपये प्रति यूनिट ज्यादा है। इससे अधिकतर कंपनियों को प्रतिमाह लगभग 35 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।

अगले कुछ दिनों में रामगढ़ की 10 और कंपनियों में लटकेंगे तालेः राधेश्याम अग्रवाल 

वैष्णवी फेरो टेक स्टील प्लांट के मालिक व झारखंड स्टील फर्नेस एसोसिएशन के रामगढ़ अध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल ने गुरुवार शाम हिन्दुस्थान समाचार के साथ खास बातचीत में कहा कि अगले कुछ दिनों में रामगढ़ की 10 और कंपनियों में ताले लटकने वाले हैं। जेबीएनएल ने इसी वर्ष अप्रैल में बिजली दर में बढ़ोतरी करते हुए 5. 50 रुपये प्रति यूनिट की दर जारी की थी, जबकि झारखंड में डीवीसी की बिजली दर 2.95 रुपये प्रति यूनिट ही है। बिजली दर की इस असमानता के कारण जेबीएनएल से संचालित हो रहे स्टील प्लांट पूरी तरीके से संकट में आ गए। इस असमानता को दूर करने और एक सरल उपाय निकालने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास से झारखंड स्टील फर्नेस एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने बात की थी। लेकिन वो इस मामले पर गंभीर नहीं हैं। प्लांट बंद हो रहे हैं और इनमें काम करने वाले मजदूरों के घर के चूल्हे बंद हो रहे हैं। इसकी पूरी जिम्मेवारी मुख्यमंत्री पर है। उन्होंने बताया कि उनके नेतृत्व में ही एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री दास से दो बार मिल चुका है। पहली बार तीन माह पहले अप्रैल में जमशेदपुर में और दूसरी बार जून में रांची में उनसे मुलाकात की गई। उन्होंने इस पर सकारात्मक आश्वासन भी दिया था। पिछले एक माह के दौरान हर शनिवार और सोमवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास से इस मुद्दे पर बात हुई है। वे लगातार कह रहे थे कि कैबिनेट की अगली बैठक में इसका समाधान हो जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ और आज झारखंड के 28 स्टील प्लांट में ताले लटक गये। कंपनी मालिकों का कहना है कि वर्तमान में हम दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं। एक तो बाजार में डिमांड नहीं है, कंपनियों के पास माल बनकर तैयार हैं लेकिन उन्हें खरीदने वाला कोई नहीं। दूसरी ओर बिजली की दर ने मुसीबत खड़ी कर दी है। ऊपर से टाटा मोटर्स में भी मंदी और ब्लॉक क्लोजर के कारण दूसरी कंपनियां उनसे माल नहीं ले रही हैं।

पांच दिन बंद रहेगी टाटा मोटर्स और टाटा हिटाची

जुलाई में चार दिनों के बंद के बाद अगस्त में भी टाटा मोटर्स और कमिंस के अलावा निर्माण उपकरण बनाने वाली टाटा हिटाची ने भी पांच दिनों के लिए कंपनी को बंद करने का आदेश जारी किया है। गाड़ियों की बिक्री में गिरावट की वजह से टाटा की तीनों कंपनी को ये फैसला लेना पड़ा है। सूत्रों की मानें तो कंपनी सितंबर में भी एक हफ्ते का बंद करने का मन बना रही है। मंदी के दौर में कंपनी के पास उत्पादन का स्टॉक काफी बढ़ गया है। लिहाजा अब नये उत्पाद को रखने की जगह नहीं है।

 


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