पटना, 06 मार्च (हि.स.)। राज्यसभा की पूर्व सांसद प्रो. कुमकुम राय 19 अगस्त 2019 को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में शामिल हो गई थीं। लेकिन, चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद इसे भूल गया। एक दिन पहले 05 मार्च को घोषित की गई नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रो. राय को सिर्फ जगह ही नहीं दी गई, बल्कि महत्वपूर्ण पद राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया। इतना ही नहीं, राजद ने दावा किया कि लालू प्रसाद यादव की अनुमति के बाद ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की गई है। जब इस बात को लेकर किरकिरी हुई तो आनन-फानन में कुमकुम राय को पद से हटाया गया।
सात महीने पहले पार्टी छोड़ने के बावजूद जदयू नेता प्रो. कुमकुम राय को महत्वपूर्ण पद पर बैठाने से राजद की काफी किरकिरी हुई। इतनी बड़ी चूक पर सवाल खड़ा होना भी लाजमी है।
हालांकि, राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपना नाम देखने के बाद प्रो. कुमकुम राय ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। कहा, वह लालू प्रसाद के साथ नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के साथ हैं। पता नहीं कैसे उन्हें राजद में पदाधिकारी बना दिया गया। उन्होंने कहा कि सात महीने पहले 19 अगस्त 2019 को ही राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गई थीं। अब मेरी पूरी आस्था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ है। पटना के जदयू कार्यालय में आरसीपी सिंह ने जदयू की सदस्यता दिलाई थी। पता नहीं कैसे राजद ने मुझे राष्ट्रीय सचिव बना दिया। किसी ने मुझसे बात भी नहीं की है।
जदयू के मंत्री नीरज ने मांगा जवाब, कहा- जालसाजी हुई
पूर्व राज्यसभा सांसद व जदयू नेता कुमकुम राय को राजद का राष्ट्रीय सचिव बनाए जाने के बाद जदयू ने राजद से इस मामले में जवाब मांगा है। नीतीश सरकार में मंत्री व जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि वैसे तो राजद अपने राजनैतिक संगठन में जंगलराज कायम करने पर उतर आया है। इसके साथ ही राजद की कार्यकारिणी में भी बड़ी जालसाजी हुई है। जदयू नेता का राजद का राष्ट्रीय सचिव बनाया जाना इसका जीता-जागता उदाहरण है।